लॉकडाउन से बढ़ी लाइफलाइन, कोरोना संकट के बीच श्मशान में घटे अंतिम संस्कार

Edited By Yaspal,Updated: 09 Apr, 2020 07:04 PM

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कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन लागू है। इस वक्त लोग अपने घरों में हैं, सड़कें सुनसान हैं। इसका असर अब देश में होने वाली मौत के आंकड़ों पर भी पड़ता दिख रहा है। देश के अलग-अलग शहरों में श्मशान घाट में शवदाह के आकंड़ों में भारी कमी आई है। इसकी कई...

नेशनल डेस्कः कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन लागू है। इस वक्त लोग अपने घरों में हैं, सड़कें सुनसान हैं। इसका असर अब देश में होने वाली मौत के आंकड़ों पर भी पड़ता दिख रहा है। देश के अलग-अलग शहरों में श्मशान घाट में शवदाह के आकंड़ों में भारी कमी आई है। इसकी कई वजहें हैं, जिनमें रोड एक्सिडेंट में भारी कमी भी शामिल है। वहीं कुछ शहरों में अंतिम संस्कार करने वालों को काफी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ रहा है।

राजधानी दिल्ली के सबसे प्राचीन और बड़े श्मशान निगमबोध घाट पर इस वक्त शवदाह की संख्या आधी हो गई है। कोरोना वायरस के चलते यहां शमशान घाट को दिन में दो बार सैनिटाइज़ किया जा रहा है। वहीं जो भी आ रहा है उससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की जा रही है। वहीं, अगर लोधी रोड स्थित श्मशान घाट की बात करें, तो यहां सैनिटाइज़ेशन की कोई व्यवस्था नहीं है।

शवदाह में कमी आने की मुख्य वजह ये बताई जा रही हैं...

  • लॉकडाउन की वजह से लोग दूर से शव नहीं ला पा रहे हैं
  • सड़क पूरी ठप हैं, तो एक्सिडेंट में काफी कमी आई है
  • अस्पतालों में सर्जरी घट गई है


उत्तर प्रदेश के लखनऊ का हाल
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी लॉकडाउन की वजह से काफी कम अंतिम संस्कार हो रहे हैं। लखनऊ के बैकुंठ धाम में जहां पहले रोजाना 20-25 अंतिम संस्कार होते थे, वहां अब सिर्फ एक-दो ही अंतिम संस्कार हो पा रहे हैं। इसकी कई वजह हैं, लॉकडाउन के चलते लोगों को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट पहुंचने तक काफी दिक्कत हो रही है। कई लोग वीडियो कॉल के जरिए अपने परिजनों के अंतिम दर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा अंतिम यात्रा में भी अधिक लोगों को शामिल होने की इजाजत नहीं दी जा रही है।

राजस्थान में भी कुछ ऐसा ही हाल
वहीं राजस्थान के जयपुर में भी कुछ ऐसा ही हाल है। जयपुर के श्मशान घाट वालों का कहना है कि पहले जहां रोजाना 10 शव आते थे, अब सिर्फ 4-5 ही आ रहे हैं। जयपुर के अस्पतालों में भी मरने वालों की संख्या में कमी आई है। जयपुर नगर निगम के मुताबिक, फरवरी में यहां 3263 मौतें हुई थीं, मार्च में जो घटकर 2524 रह गई हैं। वहीं अप्रैल के पहले हफ्ते में अब तक 255 मौत हुई हैं। राजस्थान में मौत के अधिकतर मामले रोड एक्सिडेंट से आते हैं, जो अभी पूरी तरह से बंद हैं।

बेंगलुरु में दी जा रही है इजाजत
कर्नाटक में बेंगलुरु के मेयर का कहना है कि अंतिम संस्कार को लेकर किसी को भी दिक्कत नहीं आ रही है। हम किसी भी अंतिम संस्कार में अधिकतम 20 लोगों को आने की इजाजत दे रहे हैं, क्योंकि अभी कम ही लोगों को आने देना है।

मध्य प्रदेश के भोपाल में आधी हुई संख्या
लॉकडाउन के कारण अन्य वजहों से होने वाली मौतों में कमी आई है, जिसका असर मध्य प्रदेश में भी दिख रहा है। भोपाल के अलग-अलग श्मशान घाट पर कम शव पहुंच रहे हैं, यहां शहर के सुभाष नगर स्थित श्मशान घाट में एक से 24 मार्च तक 225 अंतिम संस्कार हुए, जबकि 25 मार्च से 8 अप्रैल तक सिर्फ 100 ही अंतिम संस्कार हुए। ऐसा ही आंकड़ा अन्य शमशान घाट से सामने आया है, जहां करीब पचास फीसदी की कमी देखी गई है। भोपाल पुलिस का भी कहना है कि शहर में सड़क हादसों में भारी कमी आई है। जबसे लॉकडाउन लागू हुआ है तब से तो एक भी नया केस सामने नहीं आया है। क्योंकि अब गाड़ियां या बाइक बिल्कुल ना के बराबर चल रही हैं।

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