Lithuanian फिल्म 'टॉक्सिक' ने IFFI 2024 में गोल्डन पीकॉक अवार्ड जीता

Edited By Mahima,Updated: 30 Nov, 2024 11:19 AM

lithuanian film  toxic  wins golden peacock award at iffi 2024

टॉक्सिक एक लिथुआनियाई कमिंग-ऑफ-एज ड्रामा है, जिसमें 13 साल की मारिजा की कहानी है, जो अपनी दादी के साथ एक औद्योगिक शहर में रहती है और वहां फिट होने की कोशिश करती है। उसे क्रिस्टिना नामक एक विद्रोही लड़की से दोस्ती होती है, और दोनों एक मॉडलिंग स्कूल...

नेशनल डेस्क: गोवा में आयोजित 55वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) 2024 में लिथुआनियाई फिल्म 'टॉक्सिक' को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए प्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक अवार्ड से नवाजा गया। यह घोषणा भारतीय फिल्म उद्योग और सिनेप्रेमियों के लिए एक बड़ा सरप्राइज रही। इस फिल्म के निर्देशक सौले ब्लीवाइटे और निर्माता गियेद्रे बुरोकाइटे को गोल्डन पीकॉक ट्रॉफी, एक प्रमाणपत्र और 40 लाख रुपये की नकद पुरस्कार राशि प्रदान की गई। जूरी ने फिल्म की गहरी संवेदनशीलता और सहानुभूति की सराहना की, और इसे एक उत्कृष्ट काव्यात्मक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में एक अद्वितीय "कमिंग-ऑफ-एज" (वयस्कता की ओर बढ़ने) कहानी के रूप में प्रस्तुत किया। 

फिल्म की थीम और कहानी
‘टॉक्सिक’ एक ऐसे स्थान पर आधारित है जहाँ शारीरिक और सामाजिक दोनों ही स्तर पर गंदगी और अव्यवस्था का बोलबाला है। यह फिल्म एक 13 साल की लड़की, मारिजा के जीवन पर आधारित है, जो अपने दादी के साथ एक औद्योगिक शहर में रहती है। इस शहर में आर्थिक और सामाजिक हालात बहुत खराब हैं, और मारिजा को वहां खुद को फिट करने में मुश्किलें आती हैं। फिल्म में मारिजा की मुलाकात क्रिस्टिना से होती है, जो एक विद्रोही लड़की है। दोनों मिलकर एक स्थानीय मॉडलिंग स्कूल में दाखिला लेती हैं, जिसका वादा है कि यह स्कूल उन्हें एक ग्लैमरस और बेहतर जीवन की ओर मार्गदर्शन करेगा। हालांकि, यह स्कूल उनकी शारीरिक और मानसिक सीमाओं को पार कर देता है। स्कूल की वित्तीय और शारीरिक मांगों के चलते दोनों लड़कियां अपने शरीरों को खूबसूरत बनाने के लिए खतरनाक और अतिवादी उपायों को अपनाने लगती हैं, जिससे उनकी असली पहचान और शरीर की शारीरिकता दोनों पर भारी असर पड़ता है।

जूरी का बयान
जूरी ने फिल्म 'टॉक्सिक' की तारीफ करते हुए कहा कि यह फिल्म "आर्थिक रूप से पिछड़े समाज में पल रहे किशोरों की कठिनाइयों को दिखाती है, जो अपनी शारीरिक और मानसिक स्थितियों से जूझते हुए, कड़ी सच्चाइयों का सामना करते हैं। फिल्म ने इन संवेदनाओं को बड़े ही संवेदनशील और सहानुभूति से प्रस्तुत किया है।" जूरी ने आगे यह भी कहा कि फिल्म ने "कमिंग-ऑफ-एज" के पारंपरिक फ्रेम को तोड़ते हुए इसे एक नई और यथार्थवादी दिशा दी है, जो दर्शकों के दिलों को छूने में सफल रही है।

बेस्ट एक्टर (महिला) अवार्ड  
इस फिल्म की दो अद्भुत अभिनेत्रियों, वेस्ता मातुल्यते और इवा रुपेइकाइटे को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का संयुक्त पुरस्कार मिला। यह पुरस्कार उन्हें उनकी शानदार प्रदर्शन के लिए दिया गया, जहां उन्होंने मारिजा और क्रिस्टिना के किरदार को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। जूरी ने कहा कि "ये दोनों अभिनेत्रियाँ अपनी शारीरिक और मानसिक सीमाओं को पार कर अपने किरदारों को एक अविस्मरणीय रूप में पर्दे पर लाने में सफल रही हैं।" यह दोनों अभिनेत्रियाँ फिल्म में अपने पहले अभिनय अनुभव से ही बेहतरीन प्रदर्शन करती हैं, जो निश्चित ही उन्हें भविष्य में और अधिक सफलताओं की ओर ले जाएगा। 'टॉक्सिक' एक ऐसी फिल्म है जो युवाओं के संघर्ष, उनकी पहचान, और समाज में उन्हें दिए गए दबावों को गहरे और प्रभावशाली तरीके से दिखाती है। फिल्म ने IFFI 2024 में अपनी बेहतरीन कहानी और अद्वितीय अभिनय के साथ सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। गोल्डन पीकॉक अवार्ड जीतने के साथ ही यह फिल्म लिथुआनियाई सिनेमा को एक नई ऊंचाई पर ले गई है, और पूरी दुनिया में इसकी सराहना हो रही है। इस जीत से ना केवल लिथुआनियाई सिनेमा को बल मिला है, बल्कि यह फिल्म दुनिया भर के फिल्म प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा बन गई है, जो समाज की कठोर सच्चाइयों और किशोरों के मानसिक और शारीरिक संघर्ष को समझने की कोशिश कर रहे हैं।

 

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