Edited By vasudha,Updated: 29 Jan, 2019 09:30 PM
चार दिन तक चलने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के आखिरी दिन मंगलवार को विजय चौक पर ‘बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी' का आयोजन शुरू हो गया है...
नेशनल डेस्क: गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का प्रतीक 'बीटिंग द रिट्रीट' मंगलवार शाम विजय चौक पर आयोजित हुआ। इसके साथ भारत के 70वें गणतंत्र दिवस समारोह का औपचारिक समापन हो गया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सेना के प्रमुख सहित कैबिनेट के मंत्री एवं गयमान्य लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में 15 सैन्य, वायु सेना और नौसेना के बैंड शामिल हुए। इनके अलावा सीआईएसएफ, सीआरपीएफ और दिल्ली पुलिस के बैंड ने भी हिस्सा लिया। सभी बैंड ने मिलकर 27 धुनों पर प्रस्तुतियां दीं। इनमें से 19 धुन भारतीय संगीतकारों ने तैयार की, जबकि 8 धुन विदेशी हैं। प्रमुख संचालक कोमोडोर विजय डी क्रूज रहे। सेना के बैंड संचालक सूबेदार परविंदर सिंह रहे। वायुसेना के बैंड संचालक अशोक कुमार रहे जबकि नौसेना के संचालक पेट्टी ऑफिसर विंसेंट जॉन रहे।
जानिए ‘बीटिंग रिट्रीट' का इतिहास
बीटिंग रिट्रीट ब्रिटेन की बहुत पुरानी परंपरा है। इसका असली नाम 'वॉच सेटिंग' है और यह सूर्य डूबने के समय मनाया जाता है। भारत में बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत सन 1950 से हुई। तब से अब तक भारत के गणतंत्र बनने के बाद बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम को दो बार रद्द करना पड़ा है। पहला 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप के कारण और दूसरी बार ऐसा 27 जनवरी 2009 को देश के आठवें राष्ट्रपति वेंकटरमन का लंबी बीमारी के बाद निधन हो जाने पर किया गया।
तीनों सेनओं के बैंड एक साथ मिलकर धुन बजाते हैं और इसी के साथ बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत हो जाती है। इस दौरान कई लोकप्रिय धुनें बजाई जाती हैं. ड्रमर्स महात्मा गांधी की पसंदीदा धुनों में से एक एबाइडिड विद मी बजाते हैं, इसके बाद बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापिस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। बैंड मार्च वापस जाते समय 'सारे जहां से अच्छा...' की धुन बजाई जाती है। ठीक शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते हैं और राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को उतार लिया जाता हैं और राष्ट्रगान गाया जाता है। इस तरह गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन हो जाता है।