Coronavirus के साथ जीना और ऐहतियात को जीवन शैली का हिस्सा बनाना सीखना होगा : सरकार

Edited By shukdev,Updated: 08 May, 2020 10:44 PM

living with corona and taking precaution to learn to be part of life govt

कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन में छूट या ढील और प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को भारत सरकार ने कहा कि हमें कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा और ऐहतियाती कदमों को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाना ....

नई दिल्ली: कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन में छूट या ढील और प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को भारत सरकार ने कहा कि हमें कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा और ऐहतियाती कदमों को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाना होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि देश में कोविड-19 मरीजों की संख्या दोगुने होने का समय पहले के मुकाबले कम हुआ है। उन्होंने बताया कि दो दिन पहले तक औसतन 12 दिन में संक्रमित लोगों की संख्या दोगुनी हो रही थी लेकिन आज यह औसत 10 दिन का है। लेकिन साथ ही अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया कि इन दिनों ‘क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए' का यदि कड़ाई से पालन किया गया, तो कोविड-19 के मामलों को चरम पर पहुंचने से रोका जा सकता है। अग्रवाल ने कहा,‘ऐसे में जब हम लॉकडाउन में छूट या ढील की बात कर रहे हैं और प्रवासी श्रमिक अपने-अपने घर लौट रहे हैं, तो हमारे सामने एक बड़ी चुनौती पैदा हो रही है और हमें अब कोरोना वायरस के साथ रहना सीखना होगा।'

संयुक्त सचिव ने कहा,‘और जब हम वायरस के साथ जीना सीखने की बात कर रहे हैं तो यह महत्वपूर्ण है कि स्वयं को वायरस संक्रमण से बचाने के लिए जारी दिशा-निर्देशों को पूरा समाज अपने अंदर समाहित करे और उसे अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाए।'उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ी चुनौती है और सरकार को इसके लिए समाज का सहयोग चाहिए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी हाल ही में लॉकडाउन में कुछ छूट देते हुए लोगों से कहा था कि अब शहर को खोलने का वक्त आ गया है और सभी को इस कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा।

कोरोना वायरस संक्रमण पर जिलेवार स्थिति बताते हुए अग्रवाल ने कहा कि देश के करीब 216 जिलों में कोरोना वायरस संक्रमण का अब तक कोई मामला सामने नहीं आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक मई को देश के 733 जिलों को विभिन्न श्रेणियों में बांटते हुए 130 को रेड जोन, 284 को ऑरेंज जोन और 319 जिलों को ग्रीन जोन में रखा था। अग्रवाल ने बताया कि 42 जिलों में पिछले 28 दिन से और 29 जिलों में पिछले 21 दिन से कोविड-19 का कोई नया मामला नहीं आया है। उन्होंने बताया कि 36 जिले ऐसे हैं, जहां पिछले 14 दिन में कोविड-19 का कोई नया मामला नहीं आया है। वहीं, 46 जिलों में पिछले सात दिन से कोरोना वायरस संक्रमण का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। 

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के जून या जुलाई में अपने चरम पर पहुंचने संबंधी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया की टिप्पणी के संबंध में पूछे जाने पर अग्रवाल ने कहा,‘क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए' का यदि हम कड़ाई से पालन करते रहें, तो संभवत: हम (कोविड-19 के संक्रमण के मामलों में) चरम पर पहुंचे ही नहीं और हमारा ग्राफ सीधा ही रह जाए।' 

यह पूछने पर कि यदि कोरोना वायरस संक्रमण जून-जुलाई में अपने चरम पर पहुंचता है तो देश में संक्रमित लोगों की संख्या कितनी होने की आशंका है, अग्रवाल ने कहा कि अलग-अलग संस्थाओं ने अपने विश्लेषण के आधार पर कुछ हजार से लेकर करोड़ तक की संख्या बतायी है। उन्होंने कहा,‘हम मामलों के बढ़ने की वर्तमान दर, संक्रमित लोगों की संख्या दोगुनी होने में लगने वाले समय आदि के आधार पर विश्लेषण करते हैं। फिलहाल संक्रमित लोगों की संख्या दोगुनी होने में 10 दिन का वक्त लग रहा है, हम उन जिलों और शहरों का भी विश्लेषण करते हैं जहां मामले बढ़ रहे हैं।'

अग्रवाल ने कहा,‘उसके आधार पर हम तय करते हैं कि कहां और क्या कदम उठाना है। फिलहाल हमें संक्रमित लोगों की संख्या दोगुनी होने में लगने वाले समय को बढ़ाना है।' रेखांकित करते हुए कि कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात,दिल्ली, राजस्थान और मध्यप्रदेश में पिछले कुछ दिनों में मामले बढ़े हैं, अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया कि वहां वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कड़े उपाय और लोगों को सामाजिक दूरी बनाकर रखने जैसे कदम उठाने होंगे। 

संयुक्त सचिव ने कहा,‘ऐसे में जबकि प्रवासी श्रमिक अपने-अपने घर लौट रहे हैं, यह ध्यान रखना होगा कि यात्रा के दौरान संक्रमण से बचने के लिए हर संभव ऐहतियात बरती जाए और पृथक-वास तथा पृथक-वास केन्द्रों के नियमों का भी पालन किया जाए।' उन्होंने कहा,‘हम सभी श्रमिकों से अनुरोध करते हैं कि वे इस बात को समझें कि यह उनके, उनके लोगों, गांव और शहर की भलाई के लिए है। उन्हें ‘दो गज की दूरी', स्वच्छता आदि बनाकर रखनी होगी और स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग करना होगा।' 

देश में अभी तक इलाज के बाद कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त हुए लोगों की जानकारी देते हुए लव अग्रवाल ने कहा कि देश में कोविड-19 मरीजों के संक्रमण मुक्त होने की दर 29.36 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि देश में अभी तक इलाज के बाद 16,540 लोग संक्रमण मुक्त हुए हैं, जबकि पिछले 24 घंटे में 1,273 लोगों को अस्पतालों से छुट्टी दी गई है। अग्रवाल ने बताया कि कोविड-19 के जिन मरीजों का इलाज चल रहा है उनमें से 3.2 प्रतिशत को ऑक्सीजन दिया जा रहा है, 4.2 प्रतिशत आईसीयू में हैं, जबकि 1.1 प्रतिशत को वेंटिलेटर पर रखा गया है। 

मंत्रालय ने बताया कि पिछले 24 घंटे में, शुक्रवार सुबह आठ बजे तक देश भर में कोरोना वायरस संक्रमण के 3,390 नए मामले सामने आए हैं, जबकि कोविड-19 से 103 लोगों की मौत हुई है। अग्रवाल ने बताया कि देश में अभी तक कुल 56,342 लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है और 1,886 लोगों की संक्रमण से मौत हुई है। अग्रवाल ने बताया कि आईसीएमआर (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) ‘कॉन्वेलसेंट प्लाजमा थेरेपी' के सुरक्षित होने और इसके वांछित नतीजे देने का आकलन करने के लिए 21 अस्पतालों में चिकित्सीय परीक्षण करेगी। ‘कॉन्वेलसेंट प्लाजमा थेरेपी' के तहत डॉक्टर कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त हो चुके लोगों के रक्त से प्लाजमा लेकर उसका उपयोग अन्य कोविड-19 मरीजों के इलाज मे करते हैं। 

डॉक्टर संक्रमण मुक्त हुए लोगों के प्लाज्मा को ‘कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा' कहते हैं क्योंकि उसमें कोरोना वायरस का एंटीबॉडी मौजूद होता है। जिन अस्पतालों में ये परीक्षण होने हैं, उनमें से पांच महाराष्ट्र में हैं जबकि गुजरात में चार, राजस्थान, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश में चार-चार और कर्नाटक, चंडीगढ़, पंजाब, तेलंगाना में एक-एक हैं। इस दौरान अग्रवाल ने बताया कि ट्रेन के 5,231 डिब्बों को कोविड-19 देखभाल केन्द्र में तब्दील किया गया है, उन्हें 215 स्टेशनों पर लगाया जाएगा और उनका उपयोग कोरोना वायरस से संक्रमित बहुत मामूली, हल्के लक्षणों वाले मरीजों के इलाज के लिए किया जाएगा।

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