Edited By Seema Sharma,Updated: 02 Nov, 2020 10:39 AM
लॉकडाउन के दौरान विभिन्न प्रकार के कर्ज आदि पर किश्त चुकाने से दी गई छूट के दौरान ब्याज पर ब्याज वसूलने से राहत देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रिजर्व बैंक ने ब्याज पर ब्याज माफ करने को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। वहीं इस मामले पर सोमवार को...
नेशनल डेस्क: लॉकडाउन के दौरान विभिन्न प्रकार के कर्ज आदि पर किश्त चुकाने से दी गई छूट के दौरान ब्याज पर ब्याज वसूलने से राहत देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रिजर्व बैंक ने ब्याज पर ब्याज माफ करने को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। वहीं इस मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच छह महीने की लोन मोरेटोरियम वाली याचिका पर सुनवाई करेगी। केंद्र सरकार ने मार्च 2020 से लेकर अगस्त 2020 तक लोन लेने वाले ग्राहकों को लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) की सुविधा दी थी।
पिछली सुनवाई में शीर्ष कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र से कहा था कि सरकार को जल्द से जल्द ब्याज माफी योजना लागू करनी चाहिए। साथ ही आम आदमी को बड़ी राहत देते हुए कहा कि मोरेटोरियम सुविधा लेने वालों को 15 नवंबर 2020 तक ब्याज पर ब्याज नहीं देना होगा। 27 अक्तूबर को हुई सुनवाई में आरबीआई ने भी सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि बैंकों, वित्तीय और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से कहा गया है कि वे किस्त स्थगन योजना के तहत उन पात्र कर्जदारों के खातों से पर लागू किए गए चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest) और साधारण ब्याज (Simple interest) के बीच के अंतर को 5 नवंबर तक जमा करने के लिए जरूरी कदम उठाएं। यह व्ययस्था दो करोड़ रुपए तक के बकाया कर्जों के लिए है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सहायक महाप्रबंधक प्रशांत कुमार दास के माध्यम से दायर एक हलफनामे में वित्त मंत्रालय के 23 अक्तूबर के अतिरिक्त जवाब का उल्लेख किया और कहा कि केंद्रीय बैंक ने हाल में एक अधिसूचना जारी कर बैंकों और वित्तीय संस्थानों से कर्जदारों को उस अतिरिक्त ब्याज का पैसा वापस करने के लिए कहा है। इससे पहले केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि आरबीआई की ऋण किस्त स्थगन योजना के तहत दो करोड़ रुपए तक कर्ज लेने वाले पात्र कर्जदारों को ऋण पर लिए गए चक्रवृद्धि और साधारण ब्याज के बीच के अंतर की वापसी 5 नवंबर तक की जाएगी।