मां की दवा के लिए कोरोना लाशों को श्मशान घाट पहुंचा रहा चांद, कहा- वायरस से पहले भूख हमें मार देगी

Edited By Anil dev,Updated: 17 Jun, 2020 03:06 PM

lockdown corona virus chand mohammad

चांद मोहम्मद 12वीं कक्षा के छात्र हैं और भविष्य में चिकित्सा क्षेत्र में जाना चाहते हैं, लेकिन फिलहाल आर्थिक तंगी, अपने भाई-बहनों के स्कूलों का खर्चा उठाने और मां के इलाज के लिए कोविड-19 से मरने वालों लोगों के शवों को अंतिम संस्कार स्थल तक पहुंचाने...

नई दिल्ली: चांद मोहम्मद 12वीं कक्षा के छात्र हैं और भविष्य में चिकित्सा क्षेत्र में जाना चाहते हैं, लेकिन फिलहाल आर्थिक तंगी, अपने भाई-बहनों के स्कूलों का खर्चा उठाने और मां के इलाज के लिए कोविड-19 से मरने वालों लोगों के शवों को अंतिम संस्कार स्थल तक पहुंचाने के कार्य में लगे हुए हैं। चांद मोहम्मद की मां को थाइरॉइड संबंधी शिकायत है और उन्हें तत्काल इलाज की जरूरत है लेकिन परिवार के पास इलाज कराने के लिए धन की कमी है। उत्तरपूर्वी दिल्ली के सीलमपुर के रहनेवाले 20 वर्षीय मोहम्मद ने कहा, लॉकडाउन के दौरान कृष्णा नगर मार्केट में कपड़े की दुकान से मेरे भाई की नौकरी चली गई। तब से हम मुश्किल से अपना खर्चा उठा पाते हैं। 

PunjabKesari

उनका परिवार किसी तरह पड़ोसियों द्वारा दिए गए खाने या भाई द्वारा छोटी-मोटी नौकरी करके कमाए गए पैसे से चल रहा है। एक सप्ताह पहले चांद ने एक निजी कंपनी में नौकरी शुरू की जिसने उसे लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल में सफाईकर्मी के काम पर लगा दिया। इस नौकरी में कोविड-19 से मरने वाले लोगों के पार्थिव शव के देखेरख का काम भी होता है। वह दोपहर 12 बजे से लेकर रात आठ बजे तक काम करते हैं। उन्होंने बताया कि काम के सारे विकल्प खत्म हो जाने के बाद अब उन्होंने यह काम शुरू किया है। यह एक खतरनाक काम है क्योंकि इसमें संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है। 


PunjabKesari

मोहम्मद ने कहा, हमारे परिवार में तीन बहनें, दो भाई और अभिभावक हैं जो बिना पैसे के संघर्ष कर रहे हैं। अभी हमें भोजन और मां की दवाई के लिए पैसे की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि घर में एक ही बार का खाना होता है। संभव है कि वायरस से तो फिर भी बच जाएंगे लेकिन हम भूख से नहीं बच सकते हैं? मोहम्मद ने कहा कि उनकी दो बहनें भी स्कूल में हैं और वह खुद भी 12वीं के छात्र हैं और पढऩे के लिए पैसे की जरूरत है क्योंकि अब भी स्कूल का शुल्क बाकी है। उन्हें उम्मीद है कि पहला वेतन मिलने के बाद चीजें एक हद तक ठीक हो जाए। उन्होंने कहा कि उन्हें अल्लाह पर भरोसा है और वे ही उसका ख्याल रखेंगे और रास्ता दिखाएंगे। वहीं उन्हें सबसे ज्यादा इस बात से डर है कि इस तरह की खतरनाक नौकरी के बाद भी उनके जैसे कर्मियों के लिए निजी कंपनियां बीमा की व्यवस्था नहीं करती हैं। 

उन्होंने कहा, फिलहाल दुनिया का सबसे खतरनाक काम (कोविड-19 के मृतकों के शव से जुड़ा काम) प्रति महीना 17,000 रुपये वेतन देता है। उन्होंने बताया कि वह रोजाना कम से कम दो से तीन शवों को अन्य सफाईकर्मियों के साथ एम्बुलेंस में डालते हैं, श्मशान स्थल पहुंचने पर उसे स्ट्रैचर से उठाकर नीचे रखते हैं। इस दौरान पीपीई पहनकार काम करना होता और इतनी गर्मी में यह बेहद मुश्किल है, सांस लेने में भी तकलीफ होती है। मोहम्मद ने बताया कि वह ब्याज पर लोगों से पैसे लेने कोशिश कर रहे हैं। वहीं उनका परिवार उनकी सुरक्षा को लेकर बेहद डरा हुआ है। उन्होंने बताया कि उनकी मां काफी रोती हैं लेकिन उन्होंने उन्हें अच्छी तरह से समझाया है। वह बताते हैं कि इस काम की वजह से वह अपने परिवार से भी दूरी बनाकर रखते हैं। मोहम्मद ने कहा, मैं हर तरह के एहतियाती कदम उठा रहा हूं लेकिन फिलहाल हमें मदद की जरूरत है ताकि हमारा परिवार चल सके।
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!