लॉकडाउन से MSME सेक्टर को झटका, निर्यातकों के पास अप्रैल की सैलरी देने के लिए पैसे नहीं

Edited By Yaspal,Updated: 14 Apr, 2020 07:09 PM

lockdown jolts msme sector exporters have no money to pay april salary

निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो ने मंगलवार को कहा कि सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योग (MSME) लॉकडाउन के दौरान किसी तरह की व्यवसायिक गतिविधियों नहीं चला पा रहे हैं। इस वजह से MSME कंपनियों के पास अपने कर्मचारियों को अप्रैल का वेतन देने के लिए पर्याप्त...

नेशनल डेस्कः निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो ने मंगलवार को कहा कि सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योग (MSME) लॉकडाउन के दौरान किसी तरह की व्यवसायिक गतिविधियों नहीं चला पा रहे हैं। इस वजह से MSME कंपनियों के पास अपने कर्मचारियों को अप्रैल का वेतन देने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं। फेडरेशन ऑफ इंडिया एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) ने एक बार फिर कहा कि सरकार को तत्काल प्रोत्साहन पैकेज का एलान करना चाहिए और विनिर्माण इकाइयों में आंशिक तौर पर ऑपरेशन्स शुरू करने की अनुमति देनी चाहिए। 

फियो के अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ ने बयान जारी कर कहा, ''निर्यातकों और खासकर MSME निर्यातकों को पास अप्रैल में वेतन भुगतान के लिए पैसे नहीं हैं क्योंकि लॉकडाउन के दौरान वे किसी तरह का बिजनेस नहीं कर पा रहे हैं।'' उन्होंने चुनिंदा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और खासकर एक्सपोर्ट यूनिट्स के परिचालन शुरू करने से जुड़े फैसले को टाले जाने पर निराशा प्रकट की। 

सर्राफ ने कहा, ''हम प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संदेश में इस तरह की कुछ घोषणाओं की उम्मीद कर रहे थे। डिलिवरी शिड्यूल का पालन नहीं करने पर निर्यात से जुड़े ऑर्डर कैंसल हो जाएंगे। साथ ही जुर्माना देना पड़ेगा और मार्केट लॉस भी होगा।'' साथ ही उन्होंने कहा कि श्रमिकों, कच्चे माल एवं ट्रांसपोर्ट के अभाव के कारण चुनिंदा विनिर्माण इकाइयों को शुरू करना बहुत कठिन लड़ाई साबित होने वाली है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि वर्तमान लॉकडाउन तीन मई तक जारी रहेगा क्योंकि कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में से एक स्पेन ने भी इकोनॉमी को खोलना शुरू कर दिया है।

सर्राफ ने इकोनॉमी के हालात सुधारने के लिए समग्र आर्थिक पैकेज की मांग की। उन्होंने कहा कि छह माह के वेतन, रेंट और अन्य खर्चों के लिए बिना ब्याज के कर्ज मिलना चाहिए। इसके साथ ही छह माह के बाद कर्ज के किस्त में भुगतान के लिए मोराटोरियम का प्रावधान होना चाहिए। 

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