Edited By vasudha,Updated: 27 May, 2020 02:00 PM
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में आतंक मचाने के बाद टीड्डी दल राजधानी दिल्ली की ओर अपने कदम बढ़ा रहा है। यहां लाखों की संख्या में टिड्डियों के आने की आशंका जताई जा रही है, जिसे लेकर कई राज्यों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। गर्मी के इस मौसम में टिड्डी...
नेशनल डेस्क: मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में आतंक मचाने के बाद टिड्डी दल राजधानी दिल्ली की ओर अपने कदम बढ़ा रहा है। यहां लाखों की संख्या में टिड्डियों के आने की आशंका जताई जा रही है, जिसे लेकर कई राज्यों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। गर्मी के इस मौसम में टिड्डी दल का हमला और तेज हो गया है जिससे फसलों को भारी नुकसान होने की संभावना है।
प्रशासन ने किया अलर्ट
कृषि मंत्रालय के के आंकड़ों के अनुसार औरैया, इटावा, एटा, फर्रुखाबाद, आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, बुलंदशहर तक टीड्डी दल का काफिला पहुंचने लगा है। इसके अलावा राजस्थान, हरियाणा के मेवात होते हुए टिड्डी दल राजधानी दिल्ली की ओर बढ़ने लगा है। टिड्डी दल के संभावित हमले को लेकर प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। किसानों को अपनी फसलों को टिड्डी दल के हमले से बचाने का उपाय बताया जा रहा है तथा कृषि वैज्ञानिक सलाह दे रहे हैं।
किसानों को बताए उपाय
- कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि टिड्डी दल के नियंत्रण के लिए किसान दो प्रकार के साधन अपना सकते है।
- किसान टोली बनाकर शोर मचाकर, ध्वनि यंत्र बजा कर, टिड्डी दल को डरा कर भगा सकते हैं।
- इसके लिए ढोलक, ट्रैक्टर, मोटर साइकल का साईलेंसर, खाली टीन के डब्बे, थाली इत्यादि से ध्वनि पैदा की जा सकती है।
- फसलों और अन्य वृक्षों को टिड्डी दल के प्रकोप से बचाव के लिए किसानों को कीटनाशक मालाथियन, फेनवालरेट, क्विनालफोस, क्लोरोपायरीफोस, डेल्टामेथ्रिन, डिफ्लूबेनजुरान, फिप्रोनिल तथा लामडासाइहलोथ्रिन कीटनाशक का प्रयोग करने का सुझाव दिया गया है।
कितना खतरनाक होता है यह दल
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, इस समय राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में टिड्डी दलों का प्रकोप है। सबसे बुरी तरह राजस्थान प्रभावित हुआ है। मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि टिड्डी दलों का प्रकोप पूर्व की ओर बढ़ रहा है जिससे खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ सकता है। टिड्डियों की दुनिया भर में 10 हज़ार से ज़्यादा प्रजातियां बताई जाती हैं, लेकिन भारत में मुख्य तौर से चार प्रजातियां रेगिस्तानी टिड्डा, प्रव्राजक टिड्डा, बम्बई टिड्डा और पेड़ वाला टिड्डा ही सक्रिय ही रहती हैं। जब हरे-भरे घास के मैदानों पर कई सारे रेगिस्तानी टिड्डे इकट्ठे होते हैं तो झुंड में भयानक रूप ले लेते हैं। एफएओ की मानें तो रेगिस्तानी टिड्डे दुनिया की दस फीसदी आबादी की ज़िंदगी को प्रभावित करते हैं इसलिए इन्हें दुनिया का सबसे खतरनाक कीट कहा जाता है।