लोकसभा चुनावः चौंका सकते हैं इन राज्यों के नतीजें

Edited By Anil dev,Updated: 11 Mar, 2019 11:53 AM

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सत्रहवीं लोकसभा की 543 सीटों के लिए चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई के बीच सात चरणों में होंगे। मतगणना 23 मई को की जाएगी। निर्वाचन आयोग ने रविवार को चुनाव तारीखों की घोषणा की।  इस बार लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे। 11 अप्रैल, 18 अप्रैल, 23 अप्रैल, 29...

नई दिल्ली: सत्रहवीं लोकसभा की 543 सीटों के लिए चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई के बीच सात चरणों में होंगे। मतगणना 23 मई को की जाएगी। निर्वाचन आयोग ने रविवार को चुनाव तारीखों की घोषणा की।  इस बार लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे। 11 अप्रैल, 18 अप्रैल, 23 अप्रैल, 29 अप्रैल, 6 मई, 12 मई और 19 मई को वोटिंग होगी। 23 मई को नतीजे आएंगे। तीन जून तक नई लोकसभा का गठन हो जाएगा। वहीं इन राज्यों के नतीजे आपको चौंका सकते हैं। 

मध्य प्रदेश
 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यहां 29 में से 25 सीटें जीती थीं। 2015 में रतलाम सीट के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा को कांग्रेस के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था। 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस 15 साल बाद भाजपा से राज्य की सत्ता छीनने में कामयाब रही। ऐसे में यहां कांग्रेस की सीटें बढ़ सकती हैं। 

राजस्थान
यहां पिछले चुनावों में भाजपा ने 25 में से 24 सीटें जीती थीं। हालांकि 2018 में हुए उपचुनावों में पार्टी ने कांग्रेस के हाथों अलवर और अजमेर सीटें गंवा दी थीं। पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस यहां सत्ता हासिल करने में सफल रही, ऐसे में यह राज्य इस बार लोकसभा के चौंकाने वाले नतीजे दे सकता है।

छत्तीसगढ़
 यहां पिछली बार मोदी लहर पर सवार भाजपा ने 11 में से 10 सीटें जीती थीं लेकिन 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी को यहां अप्रत्याशित पराजय का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने राज्य की 91 में से 68 सीटें जीतते हुए भाजपा को मात्र 15 सीटों पर समेट दिया था। लोकसभा चुनावों पर इन नतीजों का असर पड़ सकता है।

आंध्र प्रदेश
 पिछली बार तेदेपा ने यहां भाजपा के साथ गठबंधन किया था। दोनों दलों ने राज्य की 25 में से 17 सीटें जीती थीं। तेदेपा अब एन.डी.ए. से बाहर हो चुकी है। वहीं, जगनमोहन रैड्डी पिछले 5 साल से राज्य में लगातार यात्राएं कर राज्य में अपनी पार्टी वाई.एस.आर.सी.पी. की पकड़ मजबूत करने की कोशिश में हैं। 

केरल
 सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला राज्य में सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। कोर्ट के आदेशानुसार सत्ताधारी वाम दल हर उम्र की महिला को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश देने के पक्ष में था, वहीं भाजपा-कांग्रेस ने फैसले का खुलकर विरोध किया था। राज्य में बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन भी हुए। ऐसे में माना जा रहा है कि 20 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में भाजपा पहली बार मुकाबले में दिख रही है। 

तमिलनाडु
राज्य की राजनीति के दो सबसे बड़े चेहरों एम. करुणानिधि और जे. जयललिता के निधन के बाद यह पहला लोकसभा चुनाव है। द्रमुक ने इस बार कांग्रेस और अन्नाद्रमुक ने भाजपा-पी.एम.के. के साथ गठबंधन किया है। पिछली बार राज्य की 39 में से 37 लोकसभा सीटें जीतने वाली अन्नाद्रमुक इस बार सिर्फ 27 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं, द्रमुक ने भी 9 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी हैं।

ओडिशा
 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद यहां भाजपा सिर्फ एक सीट जीत पाई थी। 3 बार से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजद ने 21 में से 20 सीटें जीती थीं। मोदी ने यहां दिसम्बर और जनवरी में कई दौरे किए हैं। 
 

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