क्या BJP हिंदी भाषी राज्यों में अपना प्रभुत्व कायम रख पाएगी?

Edited By Anil dev,Updated: 06 May, 2019 10:48 AM

lok sabha elections bjp madhya pradesh rajasthan congress

लोकसभा चुनावों के अगले 2 चरण भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। इन 2 चरणों में मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीटों के लिए चुनाव होने हैं। 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा इन दोनों राज्यों में सरकार बनाने में विफल रही है और दोनों राज्यों में कांग्रेस...

नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों के अगले 2 चरण भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। इन 2 चरणों में मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीटों के लिए चुनाव होने हैं। 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा इन दोनों राज्यों में सरकार बनाने में विफल रही है और दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें बनीं। कांग्रेस की सरकार काबिज होने के बाद यहां नुक्सान की भरपाई करना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। कांग्रेस इन राज्यों में अपना पूर्ण दबदबा कायम रखेगी या नहीं और भाजपा इन राज्यों में हुए नुक्सान को कम कर पाती है या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है। ऐसे में भाजपा के पास वास्तविकता का आकलन करने का एक ही तरीका है।

PunjabKesari

राज्यों के चुनावों के अंतिम दौर में भाजपा के प्रदर्शन को देखना और संसदीय क्षेत्रों में आंकड़ों की गणना करना। यह देखना होगा कि यह विधानसभा चुनावों के परिणाम आम चुनाव में कैसे परिवर्तित होते हैं। ये 2014 के चुनावों की तुलना में बेहतर हो सकते हैं और कुछ सीटों पर नुक्सान भी हो सकता है। 2014 के बाद राज्यों के हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने कई बड़ी जीत हासिल कीं। इनमें झारखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के राज्य शामिल हैं लेकिन दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कुछ जगह भाजपा को बड़े झटके लगे और हार का सामना करना पड़ा। 2014 के आम चुनावों के तुरंत बाद हुए 2 चुनावों (हरियाणा और झारखंड) को छोड़कर भाजपा का वोट शेयर औसतन 9.4 प्रतिशत गिर गया। भाजपा को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में औसतन केवल 5 प्रतिशत वोट का नुक्सान हुआ है। पिछले 3 चुनावों में वोट शेयर का औसत नुक्सान 15 प्रतिशत था। 2015 के दिल्ली चुनाव को छोड़ दें तो 2014 के बाद हुए चुनावों में भाजपा को वोट शेयर का नुक्सान हुआ है।

PunjabKesari

यह प्रदर्शन विविधताएं आम चुनाव को प्रभावित कर सकती हैं। असैंबली सैगमैंट को संसदीय सैगमैंट में शामिल करने से भाजपा को 10 राज्यों में 43 सीटों का नुक्सान होने का अंदेशा है। छत्तीसगढ़ में दिसम्बर 2018 का प्रदर्शन भाजपा के लिए 9 सीटों के नुक्सान में बदल सकता है। दिल्ली की सातों सीटें भाजपा की झोली से खिसक सकती हैं और भाजपा को राजस्थान में 12 और मध्य प्रदेश में 10 सीटों का नुक्सान हो सकता है। यह, निश्चित रूप से एक अंदेशा है, कोई भविष्यवाणी नहीं है। यह हाल ही के मूल्यांकन पर आधारित है। इसका अर्थ है कि यदि भाजपा और कांग्रेस एक जैसे प्रदर्शन को दोहराते हैं तो 23 मई को परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा को संभवत: अधिक नुक्सान हो सकता है।

PunjabKesari

कई कारक हैं जो इस परिणाम को जटिल करते हैं। एक कम मतदान, अभियान प्रभाव, 2019 चुनावों के राष्ट्रीय आयाम, मोदी प्रभाव और प्रमुख दलों की संगठनात्मक क्षमता। मतदाता राज्य और राष्ट्रीय चुनावों के बीच अंतर भी करते हैं और इन दो प्रकार के चुनावों के बीच अपना वोट बदल सकते हैं। यह सभी कारक परिणाम को बदल सकते हैं लेकिन यह डाटा उपयोगी है क्योंकि यह हमें याद दिलाता है कि ङ्क्षहदी भाषी राज्यों में भाजपा की अजेयता का मिथक काफी हद तक उत्तर प्रदेश में उनके प्रदर्शन पर बनाया गया था, जबकि पार्टी को बाकी क्षेत्रों में विशेषकर बड़े राज्यों में मिश्रित परिणाम मिले थे। 2014 के राज्य के चुनावों को छोड़ दें तो 2018 में 3 राज्यों को खोने के मुद्दे पर भाजपा ने हर जगह हार का सामना किया है। इसका मतलब यह नहीं है कि भाजपा वर्तमान में पूरी ताकत के साथ चुनाव नहीं लड़ रही है। दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की अनुपस्थिति भाजपा के लिए अच्छा प्रदर्शन करने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!