Edited By Anil dev,Updated: 26 Jun, 2019 11:00 AM
भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 में 62 सीटों पर जीत दर्ज की तथा कुल मतदान का 49.6 फीसदी मत उसे मिले। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव की तुलना में भाजपा को ज्यादा वोट मिलने के बावजूद सीटें घटी थीं।
नई दिल्ली: भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 में 62 सीटों पर जीत दर्ज की तथा कुल मतदान का 49.6 फीसदी मत उसे मिले। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव की तुलना में भाजपा को ज्यादा वोट मिलने के बावजूद सीटें घटी थीं। यह केवल सपा व बसपा के गठबंधन का ही असर था। अब जबकि बसपा प्रमुख ने समाजवादी पार्टी से पूरी तरह नाता तोडऩे की घोषणा कर दी है यह सोचने का विषय है कि आगे की परिस्थतियों में इसका किसे लाभ मिलेगा, कम से कम सपा व बसपा को इसका लाभ तो नहीं मिलने वाला है।
पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश में 2014 की तुलना में 2019 में भाजपा को नौ सीटों का नुकसान हुआ जबकि 7 फीसदी वोट शेयर बढ़ा है। उत्तर प्रदेश के वर्तमान स्वरूप (उत्तराखंड की पांच सीटों को अलग करके) के आधार पर वर्ष 1996, 1998, 2014 तथा 1019 के लोकसभा चुनावों की तुलना करें तो 2019 के चुनाव में कुल मिले वोट प्रतिशत की तुलना में भाजपा को सबसे कम सीटें हासिल हुई हैं। किसी भी राजनीतिक दल को चुनाव में मिले वोट शेयर तथा सीट शेयर ही उसकी लोकप्रियता को आंकने का मुख्य आधार होता है। भाजपा के प्रबल वोट शेयर हासिल करने के बावजूद उसकी सीटों में कमी के पीछे उत्तर प्रदेश में सपा एवं बसपा का गठबंधन ही प्रमुख कारण था। इसे हम विधानसभा वार उन्हें मिले मतों के माध्यम से समझ सकते हैं। उत्तर प्रदेश की अस्सी लोकसभा क्षेत्रों में कुल 373 विधानसभा सीटें हैं।
वर्ष 2014, 2017 तथा 2019 में लगातार हुए तीन चुनाव में भाजपा को क्रमश: 310, 302 तथा 262 विधानसभा क्षेत्रों में बहुमत हासिल हुआ था। जबकि सपा व बसपा के लिए इन चुनावों में ट्रेंड भाजपा के बिल्कुल उलट दिखायी देता है। गठबंधन के तहत उनके तहत लड़ी गई सीटों के आधार पर देखें तो उक्त तीनों चुनाव में सपा को 143 विधानसभाओं में क्रमश: 33, 27 तथा 37 सीटों पर जीत हासिल हुई। इसी तरह बसपा को 192 विधानसभाओं में 7, 13 तथा 65 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल हुई। वोट प्रतिशत बढऩे के बावजूद जहां भाजपा की सीटें घटीं वहीं सपा एवं बसपा की सीटें 2019 में औसतन काफी अधिक रहीं। यह सही है कि सपा बसपा गठबंधन को उसकी उम्मीदों के अनुसार पिछले लोकसभा चुनाव में सफलता नहीं हासिल हुई। इसका सबसे प्रमुख कारण यही था कि दोनों के संयुक्त वोट प्रतिशत में काफी गिरावट रही।