लोकसभा चुनावः इस बार क्षेत्रीय दलों के खाते में जाएगा मोदी लहर का कहर

Edited By Anil dev,Updated: 23 May, 2019 05:06 PM

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लोकसभा चुनाव के रूझानों के बाद अब साफ दिख रहा है कि फिर से पूरे देश में मोदी लहर आती दिख रही है। जहां 2014 के आम चुनावों में मोदी लहर का पूरा नुकसान कांग्रेस को झेलना पड़ा था तो वही इस बार मोदी लहर की मार क्षेत्रीय दलों को झेलनी पड़ रही है। इस बार...

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के रूझानों के बाद अब साफ दिख रहा है कि फिर से पूरे देश में मोदी लहर आती दिख रही है। जहां 2014 के आम चुनावों में मोदी लहर का पूरा नुकसान कांग्रेस को झेलना पड़ा था तो वही इस बार मोदी लहर की मार क्षेत्रीय दलों को झेलनी पड़ रही है। इस बार बीजेपी की बढ़त का आंकलन किया जाए तो, जहां टीएमसी, बीजेडी, एनसीपी, सपा, बसपा, जैसे दलों के गढ़ में सबसे ज्यादा इस लहर का असर रहा है और कुछ दलों के तो अस्तित्व पर ही संकट आ गया है। 

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ममता के गढ़ में सेंध 
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दावा किया था कि वह इस बार पश्चिम बंगाल में 23+ सीटें जीतने वाले हैं। उनके इस दावे पर पिछले चुनावी आकड़े को देखते हुए कुछ लोग हवा-हवाई मान कर चल रहे थे। मगर जैसे ही नतीजे आने लगे उन्हें देखकर लग रहा है कि अमित शाह ने अपने दावे के आस-पास पहुंच गये हैं। इसके अलावा पिछले लोकसभा चुनावों में टीएमसी को 35+ सीटें मिली थी और भाजपा को बहुत कम सीट मिली थी। इस बढ़त से टीएमसी को अब बंगाल में कड़ी चुनौती मिली है। 

नवीन के गढ़ के भी चोट की
ओडिशा में लम्बे समय से राज कर रहे नवीन पटनायक के बारे में कहा जाता है कि ओडिशा में उनका राज है। जिस तरह से नवीन लम्बे समय से राज कर रहे थे उसे देखकर कोई भी उनके आस-पास भी नहीं पहुंचा, मगर इस बार के चनावों में जिस तरह 21 सीटों से 7 सीट पर बीजेपी आगे चल रही है  उसे देखकर कहा जा सकता है कि मोदी इस बार नवीन के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब हुए हैं। 

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सपा-बसपा की उम्मीद तोड़ी 
जिस तरह से लोकसभा चुनावों में पहले उत्तर प्रदेश के दो कट्टर दुश्मन क्षेत्रीय दल एक साथ आये, और जिस तरह से सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मायावती को प्रधानमंत्री बनने का सपना दिखाया था। वह सब धरा का धरा रह गया, दरअसल दोनों दलों के गठबंधन के बाद से ही हवा बनायी जा रही थी कि प्रदेश में वह भाजपा को ईकाई के आंकड़े में समेट देंगे। लेकिन जिस तरह से भाजपा 55 सीटों पर आगे चल रही है उसने सपा-बसपा के वजूद पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।

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केजरीवाल को भी लगा झटका 
जिस तरह से पिछले कुछ महीनों से आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल दिल्ली में सातों सीट को जीतने का दावा कर रहे थे और कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात करना बाद में वह नहीं बन पाया, और नतीजों के बाद आम आदमी पार्टी का तीसरे स्थान पर चले जाना बताता है कि इस बार मोदी की हवा में केजरीवाल को बहुत नुकसान पंहुचाया है।  

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