लोकसभा चुनाव: बंगाल में लहरा सकता है BJP का परचम!

Edited By Anil dev,Updated: 11 May, 2019 09:15 AM

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लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच की जुबानी जंग सुर्खियां बटोर रही है। भाजपा का लक्ष्य पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 23 सीटें जीतना है। अब तक हुए 5 चरणों के मतदान में टी.एम.सी. और...

इलैक्शन डैस्क ( मनीष शर्मा): लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच की जुबानी जंग सुर्खियां बटोर रही है। भाजपा का लक्ष्य पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 23 सीटें जीतना है। अब तक हुए 5 चरणों के मतदान में टी.एम.सी. और भाजपा के कार्यकत्र्ताओं के बीच हिंसा और तोडफ़ोड़ की खबरें आई हैं जिससे इतना तो पता चल ही गया है कि मुकाबला टी.एम.सी. और भाजपा के बीच हो रहा है। किसी जमाने में बंगाल की राजनीति की धुरी रहे कांग्रेस और लैफ्ट पार्टी इस लोकसभा चुनाव में मात्र तमाशबीन बन कर रह गए हैं। पिछले 3 सालों में जिस तरह से बंगाल की राजनीति में भाजपा का कद बड़ा है उससे ममता बनर्जी को परेशान होना लाजमी है। भाजपा का 23 सीटों का लक्ष्य इस समय नामुमकिन नहीं लग रहा है। इससे बंंगाल में बड़े उलटफेर के साथ भाजपा का परचम लहराने की ओर इशारा हो सकता है। 

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2014 में भाजपा की हुई मजबूत शुरूआत
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने भले ही 2 सीटें जीती थीं लेकिन उसका वोट प्रतिशत 17.02 प्रतिशत था जो कि 2009 के मुकाबले 11 प्रतिशत ज्यादा है। 2014 चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने ममता के खिलाफ नरम रुख अपनाया था। दिल्ली में मोदी और बंगाल में दीदी का नारा देने वाले नरेंद्र मोदी को लगता था कि बहुमत न मिलने की सूरत में टी.एम.सी. का उन्हें समर्थन मिल सकता है। केंद्र में सरकार बनते ही भाजपा और आर.एस.एस. ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में विशेष रुचि लेनी शुरू कर दी। 2016 के उपचुनाव के बाद भाजपा लैफ्ट और कांग्रेस को पछाड़ दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

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भगवान राम करेंगे भाजपा का बेड़ा पार
बंगाल के हिन्दुओं के प्रति भारतीयों में पूर्व धारणा है कि वे हिन्दू धर्म को लेकर उदासीन हैं। दुर्गा पूजा को बंगाली लोग धर्म से ज्यादा संस्कृति का हिस्सा समझते हैं, लेकिन 2014 के बाद से वहां के हिन्दुओं की सोच में बदलाव आया है। अप्रैल 2017 से आर.एस.एस. और भाजपा बंगाल में रामनवमी की शोभायात्रा का आयोजन कर रही हैं। भाजपा की शोभायात्रा की सफलता देखते हुए टी.एम.सी. ने भी रामनवमी पर अपनी शोभायात्रा निकालनी शुरू कर दी। पिछले 2 सालों में रामनवमी की यात्रा के समय दोनों पाॢटयों के बीच ङ्क्षहसक झड़पों की खबरें आई हैं। जहां राम होंगे वहां हनुमान तो पहुंच ही जाएंगे। दोनों पाॢटयां अब बंगाल में हनुमान जयंती का भी आयोजन कर रही हैं जो बंगाल की संस्कृति के विपरीत है। बंगाल में मां दुर्गा और काली के अलावा किसी अन्य देवी-देवता को तरजीह नहीं दी जाती है। भाजपा के आने से वहां शेष भारत की संस्कृति का भी प्रवेश हो गया है। 

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लैफ्ट और कांग्रेस का नुक्सान भाजपा का फायदा
पश्चिम बंगाल में प्रभुत्व रखने वाली कांग्रेस और लैफ्ट पाॢटयां इस चुनाव में वोट कटुआ बन कर रह गई हैं। जो लोग टी.एम.सी. सरकार की नीतियों से नाराज होकर लैफ्ट या कांग्रेस को वोट देते थे उन्हें अब भाजपा आखिरी उम्मीद दिखाई देती है। 

100 विधायक भाजपा में शामिल होने की जता चुके हैं इच्छा : मुकुल रॉय
29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीरामपुर में हुई रैली में खुलासा किया था कि टी.एम.सी. के 40 विधायक उनके संपर्क में हैं और 23 मई को चुनाव के नतीजे आने के बाद ये सभी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो जाएंगे। ममता बनर्जी ने अपना उत्तराधिकारी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को घोषित किया है जिससे पार्टी के कई सीनियर नेता नाराज हो गए हैं। मुकुल रॉय भी चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए हैं। उनका कहना है कि चुनाव के बाद 100 से ज्यादा विधायकों ने भाजपा में शामिल होने की इच्छा जताई है। मुकुल रॉय की टी.एम.सी. के विधायकों और कार्यकत्र्ताओं के बीच अच्छी पैठ थीं। 

ध्रुवीकरण की राजनीति में भाजपा का कोई मुकाबला नहीं
बंगाल की राजनीति में ध्रुवीकरण की शुरूआत करने वाले प्रधानमंत्री मोदी ही हैं। टी.एम.सी. का मुस्लिम वोटर जहां संघटित है वहीं भाजपा अगर 70 फीसदी हिन्दुओं में से 30 फीसदी को भी पार्टी वोटर में तबदील करने में कामयाब हो गई तो ममता का किला ढहने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। प्रधानमंत्री मोदी की रैली की शुरूआत ‘जय श्री राम’ से हो रही है और गौ तस्करी का मुद्दा भी भाजपा की हिन्दू संतुष्टिकरण वाली रणनीति का हिस्सा है।

एन.आर.सी. और सिटीजनशिप बिल ने बढ़ाई ममता की परेशानी 
2014 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी अपनी रैलियों में कहा करते थे कि उनकी सरकार बनते ही बंगलादेशी घुसपैठियों को अपना बोरिया-बिस्तरा समेटना पड़ेगा लेकिन जो हिन्दू बंगलादेशी हैं उन्हें घबराने की जरूरत नहीं। 2016 में भाजपा सरकार ने संसद में सिटीजनशिप बिल पेश किया जिसमें मुस्लिम धर्म के अवैध प्रवासियों को छोड़ कर बाकी सभी धर्मों के अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने की बात थी लेकिन यह बिल संसद में पास नहीं हो सका। भाजपा बंगाल के लोगों से वादा कर रही है कि उनकी सरकार बनते ही बंगाल में भी एन.आर.सी. लागू किया जाएगा।  

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