Edited By Anil dev,Updated: 22 Apr, 2019 01:11 PM
लोकसभा चुनाव में इस बार राहुल गांधी की ओर से उत्तर प्रदेश के अमेठी के अलावा वायनाड से भी किस्मत आजमाने के कारण जहां यह क्षेत्र सुर्खियों में है वहीं इस क्षेत्र का जुड़ाव ब्रिटेन के एक पूर्व प्रधानमंत्री और ‘वाटरलू युद्ध’ के नायक आर्थर वेलेस्ली से भी...
इलैक्शन डैस्क: लोकसभा चुनाव में इस बार राहुल गांधी की ओर से उत्तर प्रदेश के अमेठी के अलावा वायनाड से भी किस्मत आजमाने के कारण जहां यह क्षेत्र सुर्खियों में है वहीं इस क्षेत्र का जुड़ाव ब्रिटेन के एक पूर्व प्रधानमंत्री और ‘वाटरलू युद्ध’ के नायक आर्थर वेलेस्ली से भी रहा है। राहुल से पहले ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ने भी वायनाड पर राज करने की कोशिश की थी। वेलेस्ली राजनीति में आने से पहले ब्रिटिश सेना में थे। वायनाड व भारत से 1805 में वापस जाने के बाद ही उन्हें ‘ड्यूक ऑफ वेङ्क्षलगटन’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था। वह 1828 और फिर 1834 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भी बने। ‘वाटरलू युद्ध’ में उन्होंने ब्रिटेन की सेना का नेतृत्व किया था जिसने फ्रांस के शासक नेपोलियन बोनापार्ट पर जीत हासिल की थी।
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार ब्रिटिश कमांडर पूरी मशक्कत करने के बावजूद केरल के मशहूर स्वतंत्रता सेनानी पजहस्सी राजा को काबू करने में नाकाम रहे थे। पजहस्सी राजा ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को भी काफी परेशान किया था। वेलेस्ली (1769-1852) को मैसूर के शासक टीपू सुल्तान और वायनाड के राजा द्वारा बढ़ती आक्रामकताओं का दमन करने के लिए मालाबार, दक्षिण केनरा और मैसूर के औपनिवेशिक बलों का कमांडर नियुक्त किया गया था। इन्होंने उनके खिलाफ गुरिल्ला युद्ध की रणनीति भी अपनाई थी। कोट्टायम शाही परिवार के राजा ने वायनाड पर दावा किया और उस पर अपना कब्जा बनाए रखा था।
‘ईस्ट इंडिया कम्पनी’ ने हालांकि उनके दावों को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद लंबे संघर्ष के बाद 7 अप्रैल 1800 में अपने साथी सैनिक लैफ्टिनैंट कर्नल किर्कपैट्रिक को लिखे एक पत्र में वेलेस्ली ने वायनाड और उसके लोगों की बड़ी आलोचना की। ‘केरल इतिहास समिति’ के महासचिव एस. गोपाकुमार नायर ने बताया कि राजा के ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ के हाथों पराजित होने से पहले ही वेलेस्ली को अपने देश लौटना पड़ा था। इसके बाद पजहस्सी राजा का 1805 में निधन हो गया था।