लोन मोरेटोरियम केस: SC ने केंद्र से कहा, बार-बार नहीं टाली जाएगी सुनवाई- जल्दी करें विचार

Edited By rajesh kumar,Updated: 10 Sep, 2020 03:08 PM

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लोन मोरेटोरियम मामले में टाली गई EMI पर ब्याज न लेने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को दो हफ्तों के लिए टाल दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले को फाइनल सुनवाई के लिए आखिरी बार टाला जा रहा है।

नई दिल्ली: लोन मोरेटोरियम मामले में टाली गई EMI पर ब्याज न लेने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को दो हफ्तों के लिए टाल दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले को फाइनल सुनवाई के लिए आखिरी बार टाला जा रहा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को इस मामले में 2 हफ्तों के अंदर निर्णय लेने का समय दिया है। कोर्ट ने 31 अगस्त को खत्म मोरेटोरियम अवधि को आगे बढ़ाने पर विचार करने की बात कही। इस मामले पर अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी।

'बैंकिंग अर्थव्यवस्था की रीढ़ है'
बता दें कि पहले तीन सितंबर को लोन मोरेटोरियम मामले की सुनवाई 10 सितंबर के लिए टाली गई थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किश्त भुगतान न होने पर किसी भी एकाउंट को NPA घोषित न किया जाए। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान माना था कि जितने लोगों ने भी समस्या रखी, वह सही हैं। हर सेक्टर की स्थिति पर विचार जरूरी है। लेकिन बैंकिंग सेक्टर का भी ध्यान रखना होगा। बैंकिंग अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।

कोरोना की मार
उन्होंने कहा कि मोरेटोरियम योजना लाने का मकसद था कि व्यापारी उपलब्ध पूंजी का जरूरी इस्तेमाल कर सकें। उन पर बैंक किस्त का बोझ न पड़े। मकसद यह नहीं था कि ब्याज माफ कर दिया जाए। कोरोना महामारी की मार हर सेक्टर पर पड़ी है। इसके बावजूद फार्मा, IT जैसे सेक्टर ने अच्छा प्रदर्शन किया है।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि हमारे सामने सवाल यह रखा गया है कि आपदा राहत कानून के तहत क्या सरकार कुछ करेगी? हर सेक्टर को स्थिति के मुताबिक राहत दी जाएगी? मेहता ने कहा, '6 अगस्त के RBI के सर्क्युलर में बैंकों को लोन वसूली प्रक्रिया तय करने की छूट दी गई है। एक कमिटी भी बनाई गई है, जो 6 सितंबर को रिपोर्ट देगी।'

एक तरफ मोरेटोरियम, दूसरी तरफ ब्याज पर ब्याज- कोर्ट
इसके बाद बैंकों के समूह के वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि हर सेक्टर के लिए भुगतान का अलग प्लान बनाया जाएगा। उन्हें नया लोन भी दिया जाएगा। हमें लोन लेने वाले सामान्य लोगों के लिए भी सोचना है। उनकी समस्या उद्योग से अलग है। कोर्ट ने कहा कि एक तरफ मोरेटोरियम, दूसरी तरफ ब्याज पर ब्याज। दोनों साथ में नहीं चल सकते हैं।

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