Edited By ,Updated: 23 Aug, 2016 03:14 PM
पूरे देश के नागरिक भले ही सुबह-सुबह उठ कर अपने इष्टदेव को स्मरण करते हों, पर मध्यप्रदेश के बैतूल जिले का एक गांव ऐसा है, जहां के बाशिंदे अपने दिन की शुरूआत भारत माता....
बैतूल: पूरे देश के नागरिक भले ही सुबह-सुबह उठ कर अपने इष्टदेव को स्मरण करते हों, पर मध्यप्रदेश के बैतूल जिले का एक गांव ऐसा है, जहां के बाशिंदे अपने दिन की शुरूआत भारत माता के स्मरण और जय हिंद से करते हैं। ये गांव है जिले के आमला विकासखंड का अंधारिया गांव। लगभग 650 घरों की आबादी वाले इस गांव के 300 से ज्यादा लोग सेना में रहकर देश सेवा में जुटे हैं। गांव को फौजियों का गांव भी कहा जाता हैं। गांव में सुबह-सुबह सभी एक-दूसरे से मिलने पर जय हिंद या वंदेमातरम ही बोलते हैं।
शादी-विवाह और धार्मिक आयोजनों के निमंत्रण पत्रों पर भी देशभक्ति के स्लोगन लिखे जाते हैं। गांव की कई बेटियां भी सेना में सेवा दे रही हैं। गांव की कोटवार रह चुकीं फूलवन्ती बर्डे के तीनों बेटे थल सेना में हैं। गांव के सूरज धाकड़, बिसन विश्वकर्मा और चन्द्रकिशोर धाकड़ के इकलौते बेटे वर्तमान में सेना में कार्यरत हैं। गांव की कई बेटियों सोनम डढोरे, पुष्पा झाडे, गायत्री सूर्यवंशी और ज्योति हरोडे ने हाथों में मेंहदी रचाने के पहले बंदूकें थामने का फैसला किया। ये सभी देश के विभिन्न हिस्सों में सेवारत् हैं।
गांव का बेटा धर्मेंद्र सोलंकी 1996 में बेंगलूर में और महेश मानकर 2013 में गुवाहटी में देशसेवा करते हुए शहीद हुआ था। सीमा सुरक्षा बल से सेवानिवृत दल्लू प्रसाद सोलंकी अपने भाई धर्मेंद्र सोलंकी को याद कर कहते हैं कि देशसेवा में शहीद होना गांव, जिले, प्रदेश और देश के लिए गौरव की बात है।