माध्यस्थम और सुलह संशोधन विधेयक 2021 लोकसभा से पास

Edited By Yaspal,Updated: 12 Feb, 2021 08:52 PM

madhyastham and reconciliation amendment bill 2021 passed from lok sabha

लोकसभा ने शुक्रवार को माध्यस्थम और सुलह संशोधन विधेयक 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें भारत को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के केंद्र के रूप में बढ़ावा देने की बात कही गई है। निचले सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय...

नई दिल्लीः लोकसभा ने शुक्रवार को माध्यस्थम और सुलह संशोधन विधेयक 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें भारत को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के केंद्र के रूप में बढ़ावा देने की बात कही गई है। निचले सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘मोदी सरकार ईमानदारी से भारत में अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता का केंद्र बनाना चाहती है और हम इसे बनायेंगे।'' उन्होंने कहा कि दुनिया में काफी मामले मध्यस्थता के चल रहे हैं और इस बारे में हम जानते हैं? क्या हम भ्रष्ट तरीके से लिये गए पंचाट (अवार्ड) को नजरंदाज कर दें और करदाताओं के पैसे को व्यर्थ जाने दें।

प्रसाद ने कहा कि हम भारत को भ्रष्ट तरीके से प्राप्त किये गए पंचाट (अवार्ड) का केंद्र नहीं बनने दे सकते हैं। मंत्री के जवाब के बाद संसद ने कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन सहित कुछ अन्य सदस्यों द्वारा इससे संबंधित अध्यादेश को निरनुमोदित करने के सांविधिक संकल्प और कुछ सदस्यों के संशोधनों को नामंजूर करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी।

विधि एवं न्याय मंत्री ने कहा, ‘‘मेरी न्यायपालिका से अपील है कि जनहित याचिकाओं की बढ़ती संख्या पर विचार करे और उचित पीआईएल पर ही विचार किया जाए।'' उन्होंने कहा कि पीआईएल से उन्हें आपत्ति नहीं है लेकिन रोज सुबह अखबार की खबरें देखकर जनहित याचिकाएं दाखिल करने की प्रवृत्ति भी सही नहीं है। उन्होंने कहा कि मजदूरों के वेतन का विषय हो, पर्यावरण का मुद्दा हो तब ठीक है लेकिन किन परिस्थितियों में पीआईएल दायर किया जाए, इस पर विचार करें।

प्रसाद ने न्यायपालिका और कार्यपालिका की पृथक शक्तियों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रशासन (गवर्नेंस) के विषय को निर्वाचित लोगों पर छोड़ दिया जाए। माध्यस्थम विधेयक को लेकर कुछ सदस्यों की आपत्तियों पर विधि मंत्री ने कहा कि चूंकि पंचाट हो गया, इसलिये रोक नहीं लगाया जा सकता है....कानून इतना निरीह नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ आरोप लगाने से रोक नहीं लगाई जा सकेगी, इसके लिये प्रथम द्रष्टया साक्ष्य पेश करने होंगे। विधेयक में में संस्थागत मध्यस्थता को बढ़ावा देने में उत्पन्न कठिनाइयों को दूर करने और भारत को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के केंद्र के रूप में बढ़ावा देने की बात कही गई है।

चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अध्यादेश अभूतपूर्व और उभरती हुई स्थिति में लाया जाता है लेकिन इतने छोटे संशोधन के लिये अध्यादेश लाने की क्या जरूरत थी। उन्होंने कहा कि अदालत में पहले से ही काफी मामले लंबित है, ऐसे में विधेयक में जैसे संशोधनों का प्रावधान किया गया है, उससे अदालती मामले बढ़ेंगे। भाजपा के सुभाष बहेरिया ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से दो उपबंधों और पांच बिन्दुओं पर संशोधन किया गया है। इसमें माध्यस्थम पंचाट सुनिश्चित करने में भ्रष्ट आचरणों के मुद्दे पर अवार्ड पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है।

विधेयक में कहा गया है कि प्रतिष्ठित मध्यस्थों को आकर्षित करके भारत को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक माध्यस्थम केंद्र के रूप में बढ़ावा देने के लिये अधिनियम की आठवीं अनुसूची को खत्म करना आवश्यक समझा गया। इसके अनुसार उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए माध्यस्थम और सुलह अधिनियम 1996 का और संशोधन करना आवश्यक हो गया। संसद सत्र में नहीं था और तत्काल उस अधिनियम में और संशोधन करना जरूरी हो गया था। ऐसे में राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 123 के खंड (1) के अधीन 4 नवंबर 2020 को माध्यस्थम और सुलह संशोधन अध्यादेश 2020 को लागू किया गया था।

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