Edited By vasudha,Updated: 26 Jul, 2021 08:06 AM
सावन के पहले सोमवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में अद्भुत नजारा देखने को मिला। आज महाकाल की भस्म आरती हुई। श्रद्धालुओं को भस्म आरती के बाद मंदिर में प्रवेश मिलेना शुरू हुआ। । सावन पर्व के पहले दिन रविवार को...
नेशनल डेस्क: सावन के पहले सोमवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में अद्भुत नजारा देखने को मिला। आज महाकाल की भस्म आरती हुई। श्रद्धालुओं को भस्म आरती के बाद मंदिर में प्रवेश मिलेना शुरू हुआ। । सावन पर्व के पहले दिन रविवार को अलसुबह 3 बजे मंदिर के पट खाेले गए थे।
भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को जल चढ़ाया गया और फिर पंचामृत(दूध, घी, शक़्कर, शहद और फलों के रस )से अभिषेक किया। इसके बाद महाकाल का भांग का विशेष श्रृंगार कर भस्म चढ़ाई गई। भस्मार्ती को मंगला आरती नाम भी दिया गया है. यह प्रचलित मान्यता थी कि श्मशान कि ताजी चिता की भस्म से ही भस्म आरती की जाती थी।
वर्तमान में गाय के गोबर से बने गए कंडो की भस्म से भस्म आरती की जाती है। वर्ष भर में एक बार दिन में होने वाली भस्म आरती भी महा शिवरात्रि के दूसरे दिन होती है, जिसमे बड़ी संख्या में श्रद्धालु सम्मलित होते है। कहा जाता है कि सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित होता है। भगवान शिव को ये महीना खास तौर से पसंद है। मान्यता है कि चातुर्मास के समय जब भगवान विष्णु शयन के लिए जाते हैं, तो सृष्टि संचालन का कार्यभार महादेव रुद्रदेव पर आ जाता है।