महाराष्ट्र: मलाईदार विभागों के लिए घमासान, उधर एक महीने में 300 किसानों ने मौत को गले लगाया

Edited By Yaspal,Updated: 03 Jan, 2020 06:52 PM

maharashtra a boast for creamy portfolios 300 farmers a month embraced death

महाराष्ट्र विधानसभा 2019 के चुनाव बीतने के साथ सरकार बनाने तक का समय तकरीबन एक महीने से ज्यादा रहा। हालांकि सरकार में आने के लिए हर दल ने अपने आप किसानों का हितैषी जताने की कोई कसर नहीं छोड़ी। सरकार बनाने के पहले से ही राज्यपाल महोदय के पास किसानों...

नेशनल डेस्कः महाराष्ट्र विधानसभा 2019 के चुनाव बीतने के साथ सरकार बनाने तक का समय तकरीबन एक महीने से ज्यादा रहा। हालांकि सरकार में आने के लिए हर दल ने अपने आप किसानों का हितैषी जताने की कोई कसर नहीं छोड़ी। सरकार बनाने के पहले से ही राज्यपाल महोदय के पास किसानों के लाभ के लिए आचार संहिता हटाने से लेकर आर्थिक मदद के लिए अलग-अलग दल राज्यपाल के पास पहुंचते रहे। विदर्भ इलाके में बेमौसम बरसात से पिछले एक महीने में तकरीबन 300 किसानों आत्महत्या कर चुके हैं।

इस बेमौसम बरसात की वजह से पूरे महाराष्ट्र में 71% खरीफ फसल बरबाद हुई. साल 2019 के नवंबर महीने में मराठवाड़ा, विदर्भ इलाके में 114 और 120 तक पहुंची थी। किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा पिछले चार साल में 300 के पार पहुंचा है। इससे पहले साल 2015 के अक्टूबर में 300 के करीब किसानों ने आत्महत्या की थी। हालांकि, उद्धव ठाकरे सरकार की तरफ से दो लाख रुपए के मदद करने की घोषणा की गई है लेकिन इस मामले में भी कोई ठोस कदम नहीं उठ पाए।

साल 2019 में किसानों के आत्महत्या का कुल आंकड़ा 2532 रहा जबकि साल 2018 में यह आंकड़ा 2518 था। यानी आत्महत्या के आंकड़े में बढ़ोतरी हुई है। किसानों को बेमौसम बरसात में हुए नुकसान से मदद के नाम पर दिए जाने वाली रकम 6552 करोड रुपये देने का निश्चय किया गया है। साल 2017 में बीजेपी सरकार ने 18,000 करोड़ रुपये 44 हजार किसान को कर्ज माफी के रूप में देने का वायदा किया था लेकिन सरकार बनने और विभागों के बंटवारे तक हो रही देर में किसानों की मदद बेहद पीछे रह गई और इतनी बड़ी संख्या‌ में किसानों ने खुदकुशी की है।

पश्चिम महाराष्ट्र इलाके में जुलाई अगस्त महीने में बरसात की वजह से 4 लाख हेक्टेयर की फसल बर्बाद हुई थी। पूरे महाराष्ट्र में बरसात के कारण तकरीबन 93 लाख हेक्टेयर फसल बरबाद हुई जिसके नुकसान को लेकर किसानों की हालात और खराब हुई। किसानों के आत्महत्या के मामले पर अलग अलग दल अपने ही विचार रख रहे हैं। सत्ताधारी दल शिव सेना के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत का कहना है, "किसानों की आत्महत्या अगर ऐसी बात है तो इस संदर्भ में प्रशासन है। संबंधित विभाग है, मुख्यमंत्री का कार्यालय है। मुझे लगता है कि इस संदर्भ उनकी भूमिका और उनका मत जानना चाहिए।"

 

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