महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: क्षेत्रीय मुद्दे बदल सकते हैं चुनावी गणित

Edited By Anil dev,Updated: 17 Oct, 2019 11:11 AM

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महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। सभी दल जोर शोर से चुनाव प्रचार में जुटे हैंं, लेकिन राज्य के प्रमुख मुद्दों सूखा, किसानों की आत्महत्या, प्याज की कीमतों में भारी कमी तथा सिंचाई आदि पर कोई बातचीत नहीं कर रहा है।

मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। सभी दल जोर शोर से चुनाव प्रचार में जुटे हैंं, लेकिन राज्य के प्रमुख मुद्दों सूखा, किसानों की आत्महत्या, प्याज की कीमतों में भारी कमी तथा सिंचाई आदि पर कोई बातचीत नहीं कर रहा है। 


उत्तरी महाराष्ट्र 47 सीट
यह कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। इस क्षेत्र में अब भाजपा ने अपनी जड़े जमा ली हैं। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस के निकट सहयोगी गिरीश महाजन को इस क्षेत्र में कांग्रेस को उखाड़ फेंकने की जिम्मेदारी मिली हुई है। अब तक वे कांग्रेस के प्रमुख नेता पूर्व मंत्री अमरीश पटेल, माणिकराव गावित आदि को भाजपा में शामिल करा चुके हैं। यही नहीं भाजपा ने यहां अपने पुराने नेता एकनाथ खड़से का टिकट काटकर उनकी बेटी रोहणी खड़से को मुक्तेनगर से चुनाव लड़ा रही है। यहां भाजपा व शिवसेना को अपने ही बागियों से कई जगह टकराना पड़ रहा है। 
 

प्रमुख प्रत्याशी 
इस क्षेत्र में रोहिणी खड़से तथा छगन भुजबल जैसे बड़े नेता भी मैदान में हैं। 

मुद्दे
कृषि संबंधी दिक्कतें, प्याज की कीमतों में भारी गिरावट, सूखा तथा जंगल विभाग के कानून से जुड़े मामले प्रमुख हैं। 
 

विदर्भ 62 सीट: मुख्यमंत्री फडऩवीस का गृहक्षेत्र
विदर्भ का इलाका भी कभी कांग्रेस का प्रभाववाला माना जाता था। इमरजेंसी के बाद भी यहां कांग्रेस का बहुत अच्छा वोट मिला था जब वह देश के अन्य हिस्सों में बुरी तरह पराजित हुई थी। भाजपा ने कालांतर में यहां घुसपैठ कर अपना आधार बना लिया। विदर्भ को अलग राज्य बनाने के मुद्दे को हवा देकर 2014 के चुनाव में भाजपा यहां 62 में से 44 सीटें जीतने में कामयाब रही। भाजपा की इस बार भी यही कोशिश है कि कांग्रेस को दस से भी कम सीटें ही यहां मिल सकें। बीते सालों में इस क्षेत्र में विकास के लिए राज्य सरकार ने काफी पैसा खर्च किया है। बावजूद इसके इस इलाके में बारिश न होने तथा फसलों के बर्बाद होने से परेशान किसानों की आत्महत्या की घटनायें लगातार हो रही हैं। 
 

प्रमुख प्रत्याशी 
नागपुर दक्षिण से मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस, बल्लारपुर से सुधीर मुंगंटीवार और सकोली से नाना पटोले। 

मुद्दे 
किसानों की हत्या, जातिगत भेदभाव तता सिंचाई से जुड़ी परियोजनाओं का पूरा न होना।
 

पश्चिमी महाराष्ट्र 58 सीट
पश्चिमी महाराष्ट्र को चीनी बेल्ट कहा जाता है। यह एनसीपी नेता शरद पवार का सालों से मजबूत गढ़ है। यहां शुगर को-आपरेटिव से जुड़े स्थानीय नेता पूरी राजनीति को संचालित करते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में एनसीपी ने चारों संसदीय सीटें यहीं से जीती थीं। भाजपा ने इस इलाके में शरद पवार के प्रभाव को कम करने के लिए कांग्रेस व एनसीपी से जुड़े रहे कई मराठा नेताओं को इस बार टिकट देकर मैदान में उतारा है। 
 

प्रमुख प्रत्याशी
 कारजात जामखेड से रोहित पवार, संगमनेर से महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष रहे बाला साहेब थोराट, कराड़ से पृथ्वीराज चव्हाण और शोलापुर से परिणीति शिंदे। 

मुद्दे
 कोल्हापुर, सांगली, सतारा तथा पुणे में बाढ़ पीड़ितों को समय से राहत न मिलना, आर्थिक मंदी तथा फैक्ट्रियों का बंद होना। 


कोंकण संभाग 75 सीटें
इस संभाग में महानगरी मुंबई के अलावा रायगढ़, रत्नागिरि के इलाके आते हैं। इस इलाके में बेहतर करने के लिए एनसीपी तथा कांग्रेस लगातार कोशिश में जुटे हुए हैं। रायगढ़ व रत्नागिरि इलाके में एनसीपी का असर दिखता है। वह भाजपा को कड़ी टक्कर देगी। यहां बन रही तेल रिफायनरी भी इस बार चुनाव में मुद्दा है। इस मुद्दे पर भाजपा व शिवसेना में मतभेद है। यही नहीं कोंकड़ इलाके में भाजपा प्रत्याशी नितेश राणे के खिलाफ शिवसेना ने विधिवत अपना प्रत्याशी खड़ा कर दिया है। पीएमसी बैंक घोटाले को भी एनसीपी तथा कांग्रेस यहां मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मुम्बई व ठाणे में भाजपा की स्थिति बेहतर है क्योंकि यहां रहने वाले मराठी व उत्तर भारतीयों में उसका प्रभाव है। 
 

मुद्दे
इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव, अरे कालोनी में पेड़ों की कटाई, पीएमसी बैंक घोटाला तथा आर्थिक मंदी। 

प्रमुख प्रत्याशी 
वर्ली से आदित्य ठाकरे, नाला सोपोर से प्रदीप शर्मा, बांद्रा पश्चिम से भाजपा के पूर्व मुंबईनगर अध्यक्ष आशीष शेलर, श्रीवर्धन से अदिति ठाकरे।
 

मराठवाड़ा 46 सीट
सालों से सूखा प्रभावित रहा यह क्षेत्र इन दिनों भारी बारिश से परेशान है। सूखा एवं पानी के संकट के चलते यहां लातूर जिले में 2016 में ट्रेन से पीने के लिए पानी की आपूर्ति करनी पड़ी थी। यहां कई जिलों में मुस्लिम आबादी अधिक है।  इसी के चलते विगत लोकसभा चुनाव में औरंगाबाद लोकसभा सीट से एआईएमआईएम ने जीत हासिल की। पिछले विधानसभा चुनावों में इस क्षेत्र से कांग्रेस को नौ तथा एनसीपी को 8 सीटें मिली थीं। इस चुनाव में भाजपा शिवसेना गठबंधन बेहतर परिणाम के लिए संघर्ष कर रही है। 

 

प्रमुख प्रत्याशी
लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस नेता अशोक चौहाण विधानसभा चुनाव काफी मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे हैं। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के बेटे अमित व धीरज लातूर जिले की दोनों सीटों से मैदान में हैं। 
 

मुद्दे: 
पानी का संकट, खेती संबंधी समस्यायें तथा बेरोजगारी। 

पश्चिमी महाराष्ट्र 58 सीट
पश्चिमी महाराष्ट्र को चीनी बेल्ट कहा जाता है। यह एनसीपी नेता शरद पवार का सालों से मजबूत गढ़ है। यहां शुगर को-आपरेटिव से जुड़े स्थानीय नेता पूरी राजनीति को संचालित करते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में एनसीपी ने चारों संसदीय सीटें यहीं से जीती थीं। भाजपा ने इस इलाके में शरद पवार के प्रभाव को कम करने के लिए कांग्रेस व एनसीपी से जुड़े रहे कई मराठा नेताओं को इस बार टिकट देकर मैदान में उतारा है। 
 

प्रमुख प्रत्याशी
 कारजात जामखेड से रोहित पवार, संगमनेर से महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष रहे बाला साहेब थोराट, कराड़ से पृथ्वीराज चव्हाण और शोलापुर से परिणीति शिंदे। 

मुद्दे
 कोल्हापुर, सांगली, सतारा तथा पुणे में बाढ़ पीड़ितों को समय से राहत न मिलना, आर्थिक मंदी तथा फैक्ट्रियों का बंद होना। 


 

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