Edited By Anil dev,Updated: 15 Oct, 2019 11:48 AM
इस बार महाराष्ट्र की ही नहीं पूरे देश की निगाहें वर्ली विधानसभा सीट पर लगी हैं। पहली बार ठाकरे परिवार का कोई सदस्य चुनावी दंगल में उतरा है और पार्टी ने उसके लिए इस सीट को सुरक्षित माना है। बाल ठाकरे के पोते और युवा शिवसेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे...
वर्ली: इस बार महाराष्ट्र की ही नहीं पूरे देश की निगाहें वर्ली विधानसभा सीट पर लगी हैं। पहली बार ठाकरे परिवार का कोई सदस्य चुनावी दंगल में उतरा है और पार्टी ने उसके लिए इस सीट को सुरक्षित माना है। बाल ठाकरे के पोते और युवा शिवसेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे यहां से चुनाव लड़ रहे हैं और पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार भी बताती है।
शिवसेना को उम्मीद थी कि एनसीपी बाला साहेब के पोते के आगे उम्मीदवार नहीं उतारेगी। 2006 में जब सुप्रिया सूले ने पहली बार राज्यसभा चुनाव लडऩे का एलान किया था तो बाल ठाकरे ने यह कहकर उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था कि उन्हें गर्व है कि महाराष्ट्र की बेटी दिल्ली जा रही है। मगर आदित्य को वर्ली सीट थाली में परोस कर नहीं दी जा रही। एनसीपी और कांग्रेस ने यहां से अपना एडवोकेट सुरेश माने को अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाया है। 1990 से शिवसेना यह सीट जीतती आ रही है। सिर्फ 2009 में यहां उलटफेर हुआ जब एनसीपी के उम्मीदवार अहिर सचिन मोहन ने शिवसेना के चेंबुरकर को हरा दिया था। हालांकि 2014 के चुनाव में शिव सेना के सुनील गोविंद शिंदे ने 23 हजार के अंतर से यह सीट सचिन मोहन को हरा कर जीत ली थी।
एनसीपी में सेंध
शिवसेना वर्ली में उलटफेर करने वाले एनसीपी नेता अहिर सचिन मोहन को पार्टी में शामिल कर अपनी पकड़ मजबूत कर लेने का दावा कर रही है। शिवसेना की नजरें मुख्यमंत्री पद पर हैं। उद्धव ठाकरे खुद कह चुके हैं कि उन्होंने पिता से वादा किया था कि वह एक दिन शिव सैनिक को महाराष्ट्र का सीएम जरूर बनाएंगे।