Edited By Seema Sharma,Updated: 25 Nov, 2019 09:11 AM
महाराष्ट्र में सत्ता को लेकर 4 पार्टियों- भाजपा, कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना में घमासान जारी है। भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाकर सत्ता पर कब्जा तो कर लिया है, मगर सदन में बहुमत साबित करना अभी आसान नहीं दिख रहा। ऐसे में...
नेशनल डेस्कः महाराष्ट्र में सत्ता को लेकर 4 पार्टियों- भाजपा, कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना में घमासान जारी है। भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाकर सत्ता पर कब्जा तो कर लिया है, मगर सदन में बहुमत साबित करना अभी आसान नहीं दिख रहा। ऐसे में महाराष्ट्र में कर्नाटक की पुनरावृत्ति होती दिखाई दे रही है। हालांकि अभी सभी विकल्प खुले हुए हैं। भाजपा ने जिस तरह मराठा राजनीति के दिग्गज शरद पवार के घर में सेंध लगाई, वैसी ही और बड़ी सेंध उसे बहुमत साबित करने के लिए लगानी पड़ सकती है। हालांकि भाजपा यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि एन.सी.पी. के सभी 54 विधायकों का उसे समर्थन है, मगर शरद पवार 49 विधायकों को अपने साथ बताते हुए शिवसेना के गठबंधन के पक्ष में डटे हैं।
छोटे दलों की ताकत
288: कुल सीटें हैं महाराष्ट्र विधानसभा में
145: बहुमत का आंकड़ा
दल |
सीटें |
बवीए |
3 |
ए.आई.एम.आई.एम. |
2 |
पी.जे.पी. |
2 |
सपा |
2 |
माकपा |
1 |
जसुश |
1 |
क्राशेपा |
1 |
मनसे |
1 |
पी.डब्ल्यू.पी.आई. |
1 |
रसपा |
1 |
स्वाभिमानी पक्ष |
1 |
गठबंधन दिख रहा आगे
शरद पवार के रुख की वजह से और अजीत पवार के एन.सी.पी. में अलग-थलग पड़ जाने से फिलहाल गठबंधन की 150 से ज्यादा सीटें तो तीनों दलों को मिलाकर ही दिख रही हैं। 5 निर्दलीय विधायक और अन्य छोटे दलों से भी समर्थन मिलता दिख रहा है। एन.सी.पी. प्रवक्ता नवाब मलिक गठबंधन पक्ष में 160 से ज्यादा सीटों का जो दावा कर रहे हैं वह पहली नजर में सही लग रहा है। मगर अभी कई खेल हो सकते हैं।
भाजपा की सबसे बड़ी उम्मीद
भाजपा 170 विधायकों के समर्थन का दावा कर रही है। सबसे बड़ी उम्मीद अब भी शरद पवार ही हैं। उन्हें मनाने की कोशिश लगातार जारी है। अगर वह साथ आ जाते हैं तो भाजपा अपने आप 160 का आंकड़ा छू लेगी। आठ निर्दलीय विधायक और एक-दो छोटे दलों के सहयोग से यह संख्या आसानी से 170 हो जाएगी। पर शरद पवार जो खुलकर गठबंधन के पक्ष में खेल रहे हैं वह कब और कैसे मानेंगे, इसका जवाब भाजपा नेताओं के पास भी नहीं है।
वजीर नहीं हिले तो घोड़े और प्यादे हिलेंगे
शरद पवार अगर अपने रुख पर अड़े रहते हैं तो भाजपा के पास कई वैकल्पिक प्लान होंगे। बड़े नेता नहीं माने तो असंतुष्ट विधायकों को मिलाने की कोशिश हो सकती है। तरह-तरह के प्रलोभन काम करेंगे। कांग्रेस और शिवसेना में भी बड़ी सेंध लगाने के प्रयास हो सकते हैं।