तूफान के बाद की शांति: चक्रवात प्रभावित लोगों को उबरने में समय लगेगा

Edited By Anil dev,Updated: 05 Jun, 2020 01:12 PM

maharashtra nature storm corona virus

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के निसर्ग तूफान प्रभावित इस गांव में तूफान के बाद अब शांति है लेकिन यहां के छतविहीन घर, गिरी दीवारें, उखड़े पेड़ एवं लोगों के दुखी चेहरे आसानी से तूफान के प्रभाव को बयां कर रहे हैं । सब कुछ ठीक चल रहा था कि इसी बीच अचानक एक...

अलीबाग: महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के निसर्ग तूफान प्रभावित इस गांव में तूफान के बाद अब शांति है लेकिन यहां के छतविहीन घर, गिरी दीवारें, उखड़े पेड़ एवं लोगों के दुखी चेहरे आसानी से तूफान के प्रभाव को बयां कर रहे हैं । सब कुछ ठीक चल रहा था कि इसी बीच अचानक एक दोपहर यह तूफान आया और सब कुछ तितर बितर कर गया, जिससे उबरने एवं जन जीवन सामान्य होने में लंबा वक्त लगेगा । गांव के लोग अपने आशियाने के बनने और जीवन के सामान्य होने के लिये अब प्रदेश सरकार से आशा लगाये बैठे हैं।

रायगढ़ जिले के श्रीवर्धन तालुक के दिवियागर में यह तूफान बुधवार को दोपहर बाद पहुंचा और इस तटीय तहसील को कुछ घंटे तक तहस नहस करने के बाद चला गया। इस दौरान भारी बारिश हुयी और 110 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से हवायें चलीं। तूफान से बुरी तरह प्रभावित इस जिले में सैकड़ों घर क्षतिग्रस्त हो गए, पेड़ उखड़ गए एवं बिजली के खंभे गिर गए । श्रीवर्धन का मेटकरनी गांव जिले में सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र है जहां की आबादी करीब 700 है। पहाड़ी पर स्थित इस गांव में तूफान ने जमकर तांडव मचाया और इस कारण यहां के लोग बेघर हो गये हैं। चार लोगों के परिवार में अकेला कमाने वाली सुनीता साल्वे का घर इस प्राकृतिक आपदा में तबाह हो गया है और और उनकी जिंदगी बर्बाद हो गयी है।

सुनीता ने कहा, मेरे घर में अब कुछ नहीं बचा है। छत उड़ गई है । एक दीवार गिर चुकी है। सभी अवाश्यक चीजें और बरतन आदि क्षतिग्रस्त हो गए हैं। मेरी आय का एकमात्र साधन सिलाई मशीन भी टूट गयी है । वह अपने माता पिता एवं दो बच्चों का पेट पालने के लिए इस मशीन के माध्यम से मामूली सिलाई का काम करती थी। सुनीता एवं उसके परिवार के सदस्यों ने जब सुना कि कोई तूफान आने वाला है तो वह अपने घर से जो भी उनके पास कीमती सामान था और जिसे वह ले जा सकते थे, लेकर चले गए। सुनीता ने बताया, कोविड-19 के चलते पहले ही हमारे पास कोई काम नहीं था लेकिन चक्रवात के कारण अब हमारी समस्या दोगुनी हो गयी है। मंजुला जाधव ने अपने जीवन में निसर्ग से पहले ऐसा कभी नहीं देखा था । दो बेटों एवं परिवार के साथ रहने वाली मंजुला ने बताया कि उनके पास जो कुछ भी था वह सब मलबे में दफन हो गया है।

मंजुला ने कहा, मैं सरकार से आग्रह करती हूं कि वह उन लोगों की मदद करें जिन लोगों ने इस चक्रवाती तूफान में अपना सब कुछ खो दिया है। एक अन्य महिला ने बताया कि उसने अपने सभी बचत का इस्तेमाल कर एवं कर्ज लेकर दो हफ्ते पहले ही अपना घर बनवाया था। महिला ने बताया, मैंने दो घंटे में अपना सब कुछ गंवा दिया । मेरे परिवार के पास रहने के लिये अब कोई जगह नहीं है । स्थानीय अधिकारियों ने चक्रवात आने से पहले कुछ लोगों को तटीय गांवों से निकाल कर उन्हें सरकारी इमारतों में पहुंचा दिया था और अब विभिन्न लोग जिला प्रशासन से क्षति का आकलन करने एवं सरकारी सहायता का इतंजार कर रहे हैं । यही स्थिति हरिहरेश्वर, अलीबाग, मुरूड, ताला, पेन, मशाला और रोहा गांव की है जहां चक्रवात ने विनाश मचाया है । रायगढ़ की कलेक्टर निधि चौधरी ने बताया, हमने क्षति का आकलन करना शुरू कर दिया है। श्रीवर्धन एवं मुरूड तालुका सर्वाधिक प्रभावित हुआ है और हमने समय पर आकलन करने के लिये वहां टीमें भेजी हैं ।

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