Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Aug, 2018 06:51 PM
आम आदमी की जिंदगी आसान बनाने से संबंधित ‘सुगम जीवन वरीयता’ में महाराष्ट्र के पुणे को पहला, नवी मुंबई को द्वितीय और वृहत्तर मुंबई को तृतीय स्थान पर प्राप्त हुआ है जबकि देश की राजधानी नई दिल्ली इस मामले 65वें पायदान पर आई है।
नई दिल्ली: आम आदमी की जिंदगी आसान बनाने से संबंधित ‘सुगम जीवन वरीयता’ में महाराष्ट्र के पुणे को प्रथम, नवी मुंबई को द्वितीय और वृहत्तर मुंबई को तृतीय स्थान पर प्राप्त हुआ है जबकि देश की राजधानी नयी दिल्ली इस मामले 65 वें पायदान पर आई है। केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को यहां ‘सुगम जीवन वरीयता’ सूची जारी करते हुए कहा कि सरकार आम आदमी के जीवनयापन की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए लगातार काम रही है। इसके लिए स्थानीय सरकारों को वित्तीय सहायता के अलावा प्रौद्योगिकी भी उपलब्ध कराई जा रही है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘सुगम जीवन’ स्तर का आकलन करने के लिए देश भर के शहरों में सर्वेक्षण किया गया और इसकी सूची जारी कर दी गई है। इससे शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उन्हें सुधार करने का मौका मिलेगा। सुगम जीवन वरीयता सूची में आंध्र प्रदेश के तिरुपति को चौथा, चंडीगढ़ को पांचवां, ठाणे को छठा, छत्तीसगढ़ के रायपुर को सातवां, मध्यप्रदेश के इंदौर को आठवां, आंध्र प्रदेश के विजयवाडा को नौवां और मध्य प्रदेश के भोपाल को दसवां स्थान प्राप्त हुआ है।
एक नजर टॉप 10 शहरों परः
कैसे किया गया आकलन
- मुख्य रुप से शहर में सुगम जीवन के चार आधार माने गए जिनमें संस्थागत सुविधाएं, सामाजिक ढ़ांचा, आर्थिक स्थिति और शहर की बनावट पर ध्यान दिया गया।
- शहरों का आकलन स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करते हुए वैश्विक स्तर की सुविधाओं के आधार पर किया गया है।
- शहरों में सुगम जीवन का आकलन करने के लिए चार प्रमुख आधार तय किए गए। इन्हें 15 श्रेणी और 78 बिन्दुओं में बांटा गया।
- सर्वेक्षण में सभी महानगरों और 10 दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को शामिल किया गया। हालांकि पश्चिम बंगाल के शहरों ने आकलन में हिस्सा लेने से इंकार कर दिया।
मानदंडों के आधार पर टॉप 10 शहर
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सुगम जीवन वरीयता सूची में शहरों का आकलन विकास लक्ष्यों के अनुरुप है। उन्होंने बताया कि शहरों से 50 हजार से अधिक बिन्दुओं पर जानकारी मांगी गई थी। इसके अलावा उनको 10 हजार कागजात जमा कराने थे और 14 हजार से अधिक इकाईयों का भौतिक परीक्षण कराना था। इसके अलावा प्रत्येक शहर को 60 हजार से अधिक नागरिकों का एक सर्वेक्षण करना था।