Edited By Anil dev,Updated: 02 Oct, 2019 11:34 AM
2 अक्टूबर के दिन का भारत के इतिहास में एक खास महत्व है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह 2 अक्टूबर को भी राष्ट्रीय पर्व का दर्जा हासिल है। आज के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 2 अक्टूबर 1869 को पैदा हुए और उनके कार्यों और विचारों ने आजाद भारत...
नई दिल्लीः 2 अक्टूबर के दिन का भारत के इतिहास में एक खास महत्व है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह 2 अक्टूबर को भी राष्ट्रीय पर्व का दर्जा हासिल है। आज के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 2 अक्टूबर 1869 को पैदा हुए और उनके कार्यों और विचारों ने आजाद भारत को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई है।
30 जनवरी, 1948 में नाथूराम गोडसे ने तीन गोली मारकर गांधी की हत्या कर दी थी। बापू की हत्या के बाद से अब तक एक विवाद गर्माया हुआ है कि उनके अंतिम शब्द क्या थे। आजतक ऐसा ही कहा गया है कि गोली लगने के बाद उनके अंतिम शब्द 'हे राम' थे। गांधी की पोती आभा तब उनके साथ और उन्होंने ये शब्द सुने थे। वहीं दूसरी ओर गांधी की हत्या के प्रत्यक्षदर्शी होने का दावा करने वाले उनके निजी सचिव वेंकिता कल्याणम का कहना है कि मरते वक्त बापू ने 'हे राम' नहीं कहा था। कल्याणम का दावा है कि जब नई दिल्ली के तीन मूर्ति इलाके में महात्मा गांधी को गोली मारी गई तो उस वक्त वह ठीक उनके पीछे मौजूद थे।
पुस्तक 'महात्मा गांधी: ब्रह्मचर्य के प्रयोग' में भी बापू के अंतिम शब्द को लेकर बहस की गई है। पत्रकार दयाशंकर शुक्ल सागर ने भी इस किताब में दावा किया है कि महात्मा गांधी के मुख से निकलने वाले अंतिम शब्द 'हे राम' नहीं थे। किताब के मुताबिक जब गांधी जी को गोली लगी तो उनके करीब मनु गांधी थीं, तब उन्हें 'हे रा...' सुनाई दिया था। इन्ही शब्दों के आधार पर समझ लिया गया कि बापू के आखिरी शब्द 'हे राम' ही थे। वहीं गांधी जी के प्रपौत्र तुषार गांधी का इस पर कहना है कि कल्याणम की बात पूरी तरह गलत है। जो लोग बापू को हिंदू विरोधी साबित करना चाहते थे, उन्हीं का यह प्रचार है कि गांधी ने 'हे राम' नहीं कहा। तुषार के मुताबिक हत्या के समय आभा और मनु बापू के साथ थीं। आभा की गोद में बापू ने अंतिम सांस ली थी। आभा के मुताबिक बापू ने ‘हे राम’ कहा था, एक बार नहीं बल्कि वे कुछ समय तक इसे दोहराते रहे।