उत्तराखंड में कुदरत ने मचाया ताडंव, जानें कैसे और क्यों टूटता है ग्‍लेशियर

Edited By rajesh kumar,Updated: 07 Feb, 2021 03:01 PM

major floods due to glacier breakdown in garhwal region

उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ के पास तपोवन क्षेत्र में ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट पर एक बड़ा ग्लेशियर गिरने से बांध टूटने से अलकनंदा में भारी तबाही हुई है। सूत्रों के अनुसार बांध के आसपास बड़ी संख्या में लोग कार्यरत हैं तथा गंगा किनारे भी काफी लोगों...

नेशनल डेस्क: उत्तराखंड के चमोली जिले में कुदरत ने ताडंव मचाया है और इस वक्त वहां से काफी बेहद भयावह खबर सामने आ रही है। जिले के जोशीमठ के पास तपोवन क्षेत्र में ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट पर एक बड़ा ग्लेशियर गिरने से बांध टूटने से अलकनंदा में भारी तबाही हुई है। सूत्रों के अनुसार बांध के आसपास बड़ी संख्या में लोग कार्यरत हैं तथा गंगा किनारे भी काफी लोगों के जान माल के नुकसान की भी भारी आशंका है। चमोली पुलिस ने लोगों को नदी के तटीय क्षेत्रों से दूर रहने के लिए अलटर् जारी किया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस संबंध में मुख्य सचिव से बात करके पूरी स्थिति पर नजर बनाये हुए है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दल (एनडीआरएफ) को मौके पर रवाना कर दिया गया है तथा उत्तराखंड के सभी नदी तटीय क्षेत्रों में दूर रहने के लिए लोगों को अर्लट जारी किया गया है। आइए जानें आखिर कैसे और क्यों टूटता है ग्‍लेशियर?

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जानें कैसे टूटता है ग्लेशियर
ग्‍लेश‍ियर दो तरह के होते हैं। अल्‍पाइन ग्‍लेशियर और आइस शीट्स। यह कई सालों तक भारी मात्रा में बर्फ के एक जगह जमा होने से बनता है। पहाड़ों के ग्‍लेशियर अल्‍पाइन कैटेगरी में आते हैं।पहाड़ों पर ग्‍लेशियर टूटने की कई वजहें होती हैं। एक तो ग्‍लेशियर के किनारों पर तनाव बढ़ने की वजह से और दूसरा गुरुत्‍वाकर्षण की वजह से। ग्‍लोबल वार्मिंग के चलते बर्फ पिघलने से भी ग्‍लेशियर का एक हिस्‍सा टूटकर अलग हो सकता है। ग्‍लेशियर से जब कोई बर्फ का टुकड़ा अलग होता है तो उसे काल्विंग कहते हैं।

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ग्लेशियर बाढ़ कैसै आता है?
ग्‍लेशियर जब फटता या टूटता है तो उसके नतीजे बढ़े भयानक होते हैं। ऐसा तब होता है जब  ग्‍लेशियर के अंदर ड्रेनेज ब्‍लॉक होती है। पानी अपना रास्‍ता ढूंढ लेता है और जब वह ग्‍लेशियर के बीच से बहता है तो बर्फ पिघलने का रेट बढ़ जाता है। इससे उसका रास्‍ता बड़ा होता जाता है और साथ में बर्फ भी पिघलकर बहने लगती है। इंसाइक्‍लोपीडिया ब्रिटैनिका के मुताबिक, इसे आउटबर्स्‍ट फ्लड कहते हैं। ये आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में आती हैं। कुछ ग्‍लेशियर ऐसे होते हैं जो कि हर साल फटते या टूटते हैं, कुछ दो या तीन साल के अंतराल पर। कुछ कब टूटेंगे, इसका अंदाजा लगा पाना लगभग नामुमकिन होता है।

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150 श्रमिक लापता
राज्य के आपदा मोचन बल की डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि ऋषिगंगा ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले 150 से अधिक कामगार संभवत: इस प्राकृतिक आपदा से सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘ऊर्जा परियोजना के प्रतिनिधियों ने मुझे बताया है कि परियोजना स्थल पर मौजूद रहे 150 कामगारों से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा है।' बाढ़ से चमोली जिले के निचले इलाकों में खतरा देखते हुए राज्य आपदा प्रतिवादन बल और जिला प्रशासन को सतर्क कर दिया गया है। हालांकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि नदी के बहाव में कमी आई है जो राहत की बात है और हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है। 

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