मालदीव के राष्ट्रपति की चीन-Pak से बढ़ीं नजदीकियां, भारत को सता रहा ये डर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jul, 2017 12:54 PM

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मालदीव के राष्ट्रपति यामीन अब्दुल गयूम द्वारा फौज का सहारा लेकर सत्ता से चिपके रहने पर भारत दुविधा में है।

नई दिल्ली (रंजीत कुमार): मालदीव के राष्ट्रपति यामीन अब्दुल गयूम द्वारा फौज का सहारा लेकर सत्ता से चिपके रहने पर भारत दुविधा में है। तीन दिनों से मालदीव के चिंताजनक राजनीतिक घटनाक्रम पर भारत मौन है जबकि दुनिया की सभी बड़ी जनतांत्रिक ताकतों ने जनतंत्र का गला घोंटने की निंदा की है। हालांकि यहां विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि मालदीव के घटनाक्रम पर भारत नजर रखे हुए है।

मालदीव के राष्ट्रपति ने मजलिस के गेट पर लगवाया ताला
मालदीव की संसद ( मजलिस ) में विपक्षी दल द्वारा स्पीकर के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को पारित होने से रोकने के लिए मालदीव के राष्ट्रपति ने मजलिस के  गेट पर ही ताला लगवा दिया और वहां फौज तैनात कर दी। पिछले चुनावों में घोटाला कर राष्ट्रपति बनने वाले यामीन अब्दुल गयूम ने सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के लिए सासंदों को बलपूर्वक मजलिस में प्रवेश करने से रोका है। लेकिन जनतंत्र का ध्वज वाहक भारत दुविधा में है कि राष्ट्रपति यामीन के साथ  कैसा बर्ताव किया जाए।
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राष्ट्रपति यामीन की चीन से मिलीभगत
भारत की चिंता है कि राष्ट्रपति यामीन चीन की गोद में बैठ चुके हैं और अब पाकिस्तान के साथ भी उनकी सांठगांठ उजागर होने लगी है। पांच साल पहले सत्ता हथियाने के बाद राष्ट्रपति यामीन ने चुनाव भी करवाए और हेरफेर कर सत्ता में बने रहे। इस दौरान यामीन की न केवल चीन के साथ नजदीकियां बढ़ीं बल्कि सऊदी अरब और पाकिस्तान के साथ भी राष्ट्रपति यामीन की यारी बढ़ी। सत्ता बचाए रखने के लिए यामीन को न केवल चीन से बल्कि कट्टरपंथी  इस्लामी ताकतों से भी मदद मिल रही है।
पिछले सालों में राष्ट्रपति यामीन ने न केवल चीन को अपने कुछ द्वीप पट्टे पर सौंप दिए हैं बल्कि सऊदी अरब ने भी अपने राजकुमारों की अय्याशी और पर्यटन के लिए कुछ द्वीप हासिल कर लिए हैं।

भारत के जले पर नमक छिड़क रहे यामीन
भारत के जले पर नमक छिड़कने का काम मालदीव ने एक दिन पहले किया जब मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को राजधानी माले आमंत्रित किया। रोचक बात यह है कि नवाज शरीफ खुद अपनी कुर्सी बचाने की जुगत में हैं।
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भारत को सता रहा ये डर
केरल के समुद्र तट से महज तीन सौ किलोमीटर दूर मालदीव के द्वीपों पर इस तरह चीन और सऊदी अरब का कब्जा होना भारत के लिए गहरी सामरिक चिंता का मसला है। मालदीव हिंद मासागार में समुद्री व्यापारिक मार्ग के नजदीक है जहां के द्वीपों पर चीन का बैठना भारत के माथे पर शिकन पैदा कर रहा है लेकिन भारत दुविधा में इसलिए है कि कहीं राष्ट्रपति यामीन चीन के दबाव में अपने कुछ द्वीपों को चीन को सैनिक अड़्डा बनाने के लिए नहीं सौंप दे। फिलहाल जो द्वीप चीन को सौंपे गए हैं वहां से चीन भारत विरोधी इलेक्ट्रानिक जासूसी गतिविधियों में संलग्न हो सकता है और वहां से भारत की नौसैनिक गतिविधियों पर नजर रख सकता है। युद्धकाल में चीन वहां अपने युद्धपोत भी यह कह कर तैनात कर सकता है कि मालदीव के निमंत्रण पर चीन के पोत वहां गए हैं। ठीक उसी तरह जैसे भूटान के भू-भाग की रक्षा के लिए भारत की सेना डोकलाम इलाके में है।

राष्ट्रपति यामीन को डर है कि यदि मजलिस में स्पीकर अब्दुल्ला मसीह मुहम्मद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया तो अगला निशाना वही होंगे। विपक्षी दल मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद की सत्ता में वापसी हो सकती है। मुहम्मद नशीद ने भारत का समर्थन हासिल करने के लिए हाल में चीन विरोधी और भारत समर्थक बयान दिए हैं लेकिन यह वही नेता हैं जिन्होंने 2012 में राजधानी माले में चीन के दूतावास का उद्घाटन उसी दिन किया जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह माले पहुंचने वाले थे।

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