CM ममता बनर्जी का पीएम मोदी को दूसरा पत्र, कहा- ज्ञान किसी समुदाय की संपत्ति नहीं

Edited By rajesh kumar,Updated: 25 Feb, 2021 06:39 PM

mamta banerjee s second letter to pm modi

उन्होंने पत्र में लिखा ज्ञान किसी एक देश या समुदाय की रचना या संपत्ति नहीं है। मंत्रालय ने 15 जनवरी को कहा था कि सरकार द्वारा पोषित विश्वविद्यालय अगर देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों या फिर प्रत्यक्ष तौर पर “भारत के आंतरिक मामलों” से जुड़े मुद्दों पर...

नेशनल डेस्क: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर शिक्षा मंत्रालय को यह निर्देश देने की मांग की कि वह उस संशोधित दिशानिर्देश को तत्काल वापस ले जिसके तहत राज्य सरकार से सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों को वैश्विक सम्मेलनों के आयोजन से पहले मंत्रालय की मंजूरी लेनी होगी। उन्होंने पत्र में लिखा ज्ञान किसी एक देश या समुदाय की रचना या संपत्ति नहीं है।

मंत्रालय ने 15 जनवरी को कहा था कि सरकार द्वारा पोषित विश्वविद्यालय अगर देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों या फिर प्रत्यक्ष तौर पर “भारत के आंतरिक मामलों” से जुड़े मुद्दों पर ऑनलाइन वैश्विक सम्मेलन आयोजित करना चाहते हैं तो उन्हें मंत्रालय से पहले इसकी मंजूरी लेनी होगी। बनर्जी ने कहा कि संशोधित दिशानिर्देशों से राज्य द्वारा पोषित विश्वविद्यालयों द्वारा ऑनलाइन/डिजिटल अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन/संगोष्ठी/प्रशिक्षण आदि के आयोजन में कई बाधाएं खड़ी हो गई हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञापन जारी करने से पहले राज्यों से इस संबंध में परामर्श नहीं लिया गया।

प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र में बनर्जी ने लिखा हमारे विश्वविद्यालयों को शीर्ष स्तर के स्वशासन और स्वतंत्रता का अनुभव होना चाहिए। उन्होंने पत्र में लिखा ज्ञान किसी एक देश या समुदाय की रचना या संपत्ति नहीं है। तार्किक नियमन और पाबंदियां समझ में आती हैं। हालांकि, कार्यालय ज्ञापन द्वारा थोपी गई पाबंदियां हमारे देश में उच्च शिक्षा प्रणाली के केंद्रीयकरण की भारत सरकार की मंशा को और रेखांकित करती हैं। बनर्जी ने कहा यहां इस बात का उल्लेख संदर्भ से परे नहीं होगा कि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में है और शिक्षण संस्थानों को ऐसे निर्देश जारी करने से पहले राज्य सरकारों के साथ परामर्श न करना संघीय ढांचे की भावना के विपरीत होगा। बनर्जी ने कहा कि ऐसे किसी भी संवाद को “राज्यों की संवैधानिक शक्तियों की अवमानना” के उदाहरण के तौर पर देखा जाएगा। 

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