Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Feb, 2019 08:55 AM
उल्लासित और उत्साहित ममता बनर्जी की योजना अब दिल्ली में राजनीतिक गर्मी बढ़ाने की है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री अगर अपने मंसूबे में सफल रहीं तो वह जल्द ही विपक्षी पार्टियों के कुछ अन्य मुख्यमंत्रियों के साथ दिल्ली में धरना देती नजर आएंगी।
नेशनल डेस्कः उल्लासित और उत्साहित ममता बनर्जी की योजना अब दिल्ली में राजनीतिक गर्मी बढ़ाने की है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री अगर अपने मंसूबे में सफल रहीं तो वह जल्द ही विपक्षी पार्टियों के कुछ अन्य मुख्यमंत्रियों के साथ दिल्ली में धरना देती नजर आएंगी। ममता बनर्जी इस लड़ाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के घर की दहलीज तक ले जाना चाहती हैं। इससे वह यह संकेत देने का प्रयास कर रही हैं कि कैसे केन्द्र सरकार प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) और केन्द्रीय जांच एजैंसी (सी.बी.आई.) का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रही है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू पहले ही इस धरने के लिए अपनी सहमति जता चुके हैं। 11 या 12 फरवरी मुख्यमंत्रियों के इस धरने की संभावित तारीखों के रूप में सामने आ रही हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के ममता बनर्जी से काफी अच्छे संबंध हैं। हाल ही में उनकी ममता से मुलाकात भी हुई थी और मुख्यमंत्रियों के इस धरने को केजरीवाल के दिमाग की उपज माना जा रहा है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी भी ममता के साथ धरने पर बैठने को तैयार हैं। हालांकि सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्रियों की इस धरना राजनीति को लेकर कांग्रेस में कोई खास उत्साह नहीं है लेकिन इस मुश्किल घड़ी में वह इस पूरे कार्यक्रम को छोडऩा या उससे अलग भी दिखना नहीं चाहती। पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें हैं, जो हिन्दी भाषी पट्टी में एक मजबूत ताकत की तरह हैं। वाम मोर्चे के दलों ने धरने में शामिल होने से साफ इंकार कर दिया है, इसके चलते केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन इसमें शामिल नहीं होंगे।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने तटस्थ भाव अपना रखा है, ऐसे में धरने में उनके शामिल होने या न होने के बारे में फिलहाल कोई सूचना नहीं है। हालांकि पटनायक केन्द्रीय एजैंसियों के गलत इस्तेमाल को लेकर ममता के पक्ष में हैं। अरविन्द केजरीवाल ने ममता बनर्जी से विपक्षी दलों की दिल्ली में हर हाल में कोलकाता जैसी रैली आयोजित करवाने का वायदा किया है। वैसे कांग्रेस के केजरीवाल के साथ सहज न होने से उनकी यह योजना शायद ही धरातल पर आए। हालांकि मुख्यमंत्रियों का धरना विपक्ष की एकता और सम्मिलित रैली के उद्देश्य को पूरा कर देगा। एक बात पूरी तरह स्पष्ट हो गई है कि निकट भविष्य में अमरावती में होने वाली विपक्षी दलों की रैली का नेतृत्व चंद्रबाबू नायडू तो नहीं करेंगे।