ममता के MLA अरिंदम भट्टाचार्य ने थामा BJP का दामन, कार्यकर्ताओं में खिंची तलवार

Edited By Yaspal,Updated: 21 Jan, 2021 10:24 PM

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पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के बीच तलवार खिंच गई है। हर गुजरते दिन के साथ पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के बीच के रिश्ते तल्ख होते जा रहे हैं। वहीं बीजेपी इस गेम में टीएमसी पर दबाव बनाने में कामयाब रही है। शुभेंदु अधिकारी के बाद तृणमूल के...

नेशनल डेस्कः पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के बीच तलवार खिंच गई है। हर गुजरते दिन के साथ पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के बीच के रिश्ते तल्ख होते जा रहे हैं। वहीं बीजेपी इस गेम में टीएमसी पर दबाव बनाने में कामयाब रही है। शुभेंदु अधिकारी के बाद तृणमूल के विधायक अरिंदम चौधरी ने बीजेपी का दामन थाम लिया। शांतिपुर से टीएमसी के विधायक अरिंदम चौधरी ने विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी का साथ छोड़ दिया है। कैलाश विजयवर्गीय,अरुण सिंह और शाहनवाज हुसैन की मौजूदगी में अरिंदम चौधरी ने बीजेपी का दामन थाम लिया है।

वहीं ममता बनर्जी के गढ़ में भी बीजेपी रोड शो निकाल रही है। पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के चंदननगर इलाके में बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी की विशाल रोड शो निकाली गई। इस रोड शो में हुगली जिले की सांसद लॉकेट चटर्जी,पुरुलिया सांसद ज्योति मय सिंघो सहित कई बीजेपी नेता शामिल रहे। बीजेपी में जाने के बाद हुगली जिले में शुभेंदु अधिकारी ने रोड शो के जरिए अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। इस रोड शो के जरिए टीएमसी को शुभेंदु की तरफ से मुंहतोड़ जबाव के तौर पर भी देखा जा रहा है।

टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ता अब गोली मारने के नारे भी लगाने लगे हैं। टीएमसी के कार्यकर्ता एक रोड शो में ‘बंगाल के गद्दारों को गोली मारों सारों को’ का नारा लगाया। टीएमसी के कार्यकर्ताओं की इस नारेबाजी से पश्चिम बंगाल में एक नया तनाव फैल गया है। वहीं टीएमसी के कार्यकर्ताओं के नारेबाजी के बाद बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने भी विवादित नारा लगाया है। हुगली जिले में शुभेन्दु अधिकारी की रैली में शामिल बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विवादित नारा लगाया। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने हुगली में"तृणमूल के गद्दारो को गोली मारो सारों को" का नारा लगाया।

राजनीति में विरोध करना स्वाभाविक है। लेकिन एक दूसरे को गोली मारने का नारा स्वीकार नहीं किया जा सकता है। पश्चिम बंगाल के राजनीतिक दिग्गजों को ये सोचना चाहिए कि लोकतंत्र की यात्रा विवाद से संवाद की तरफ होता है। पश्चिम बंगाल की एक महान सांस्कृतिक और दार्शनिक विरासत रही है और इसे बचाने की जिम्मेदारी बंगाल के प्रबुद्ध लोगों के कंधे पर है।

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