आज से आरंभ हो रहे हैं मंगलागौरी व्रत, कुंवारी लड़कियां पा सकती हैं मनचाहा वर

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Jul, 2019 07:56 AM

विवाह योग्य कुंवारी कन्याओं को यदि उचित वर नहीं मिल रहा, बार-बार विवाह में अड़चने आ रही हैं, रिश्ते तो आते हैं लेकिन बात नहीं बन पा रही है। विवाह के बाद पति-पत्नी में लड़ाई-झगड़ा रहता है,

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विवाह योग्य कुंवारी कन्याओं को यदि उचित वर नहीं मिल रहा, बार-बार विवाह में अड़चने आ रही हैं, रिश्ते तो आते हैं लेकिन बात नहीं बन पा रही है। विवाह के बाद पति-पत्नी में लड़ाई-झगड़ा रहता है, छोटी सी बात पर बड़ा बवाल मच जाता है, आए दिन तू-तू, मैं-मैं रहती है तो इसका एकमात्र उपाय है मां पार्वती की उपासना। विवाह से संबंधित सभी समस्याओं और विवाह में आ रही सभी अड़चनों, परेशानियों को दूर करता है मंगलागौरी व्रत। इस व्रत के प्रभाव से पति की आयु लम्बी होती है, लव मैरिज में आ रही बाधाएं खत्म होती हैं और मनचाहा वर मिलता है। ये व्रत श्रावण मास में आता है। प्रत्येक मंगलवार को ये व्रत किया जाता है।  इस वर्ष 2019 में पहला मंगलागौरी व्रत- 23 जुलाई से आरंभ हो रहा है। 
दूसरा- 30 जुलाई

तीसरा- 6 अगस्त

चौथा और अंतिम- 13 अगस्त को है। 

श्रावण मास में आने वाले सभी मंगलवार को मंगलागौरी व्रत होगा। 

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मंगलागौरी व्रत के दिन इस विधि से करें मां पार्वती की पूजा
सर्वप्रथम प्रात: शीघ्र उठकर स्नान आदि से निवृत होकर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मां पार्वती का एक चित्र स्थापित करें। फिर उनके सामने आटे के 16 दीपक बनाकर उनमें देसी घी भरें। उन्हें प्रज्ज्वलित कर षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। मां पार्वती जी की पूजा के लिए जो भी सामग्री लें वे 16 की संख्या में होनी चाहिए जैसे लड्डू अथवा मिठाई, फल, फूल, लौंग, इलायची, पान, माला। सुहाग की सामग्री जैसे सिंदूर, बिंदिया, चूड़ियां, चुनरी, काजल, शीशा, कंघी, मेंहदी, हल्दी, आदि सामान भी 16 की संख्या में होना चाहिए। सारा सामान मां के सामने रखें। फिर मंगला गौरी व्रत की कथा सुनें। व्रत कथा सुनकर, आरती करें। विवाहित स्त्री अपनी सास या ननद को सोलह लड्डू या मिठाई दें। पूजा के बाद भोग व श्रृंगार किसी सुहागन ब्राह्मणी को भेंट करें। 

ये है शुभ मुहूर्त- प्रात 5:41 मिनट से लेकर 11:20 तक 

मंगला गौरी आरती- जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल कदा दाता। जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

सिंह को वाहन साजे कुंडल है, साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था। जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता। जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता। जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराता नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता। जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

देवन अरज करत हम चित को लाता गावत दे दे ताली मन में रंगराता। जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता सदा सुख संपति पाता। जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

रुद्राक्ष की माला से इस स्पेशल मंत्र का जाप करें- ह्रीं श्रीं क्लीं सर्व-पूज्ये देवि मंगल-चण्डिके, हूं हूं फट् स्वाहा॥

विवाह में आ रही है बाधा तो मंगला गौरी की ये व्रत कथा ज़रूर पढ़ें

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उपाय
मनचाहा वर पाने के लिए शाम को मंगला गौरी स्तोत्र का पाठ करें। 

मैरिड लाइफ में प्रेम बढ़ाने के लिए देवी मंगला गौरी पर लाल चुनरी चढ़ाएं।

अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए देवी मंगल चंडिका पर चढ़े सिंदूर का पूरे साल भर प्रयोग करें। 

लव मैरीज के लिए पान के पत्ते पर सिंदूर से लवर का नाम लिखकर देवी मंगला पर चढ़ाएं।

व्रत का उद्यापन- सावन मास के अंतिम मंगलवार को व्रत का उद्यापन करना चाहिए। मंगलागौरी अथार्त मां पार्वती जी के चित्र को अगले दिन अर्थात बुधवार को बहते पानी में प्रवाहित कर देना चाहिए। एक बार यह व्रत प्रारंभ करने के पश्चात इस व्रत को लगातार 5 वर्षों तक किया जाता है तत्पश्चात इस व्रत का विधि-विधान से उद्यापन कर देना चाहिए। मंगलागौरी व्रत करने से सभी प्रकार के सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है और पति-पत्नी के जीवन में प्रेम का संचार होता है। मंगलागौरी व्रत वैवाहिक जीवन के लिए किया जाता है। 
 
ज्योतिष बॉक्सर देव गोस्वामी
devgoswami530@gmail.com

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