Edited By Riya bawa,Updated: 10 Apr, 2020 12:10 PM
कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया का गुस्सा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पर निकल...
नई दिल्ली : कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया का गुस्सा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पर निकल रहा है। क्योंकि WHO एक वैश्विक संगठन के रूप में पूरी तरह से फेल हुआ है। आरोप लग रहे हैं कि WHO सिर्फ चीन की बात सुनता है। इसलिए दूसरे देशों ने भी तय कर लिया कि वो WHO की बात नहीं सुनेंगे। भारत भी इस बात पर सहमत नज़र आ रहा है। 30 जनवरी को WHO के महानिदेशक ने कहा था कि WHO चीन पर यात्रा प्रतिबंध लगाने की सिफारिश नहीं करेगा इसके तीन दिन बाद ही भारत ने अपने नागरिकों को चीन की यात्रा ना करने की सलाह दी थी।
16 मार्च को WHO के महानिदेशक ने कहा कि कोरोना से लड़ने का मंत्र है- Test, Test और Test, लेकिन 22 मार्च को भारत ने साफ कर दिया कि बिना देखे सुने Testing नहीं होगी। कोरोना से लड़ने का एक ही मंत्र है- Isolation, Isolation और isolation
WHO ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए गाइडलाइंस में कहां कि वो किसी विशेष दवा की सिफारिश नहीं करता, क्योंकि किसी कारगर दवा के सबूत नहीं है। लेकिन भारत ने प्रयोग के तौर पर दो antivirals का इस्तेमाल करने को कहा और इसके बाद इसकी जगह पर hydroxy-chloroquine और antibiotic azithromycin का इस्तेमाल करना शुरू किया। इन दोनों दवाओं का प्रयोग किस तरह से सफल रहा, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज दुनिया के बड़े-बड़े देश भारत से hydroxy-chloroquine मांग रहे हैं।
अमेरिका भी जता रहा है रोष
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो लगातार WHO की खिंचाई कर रहे हैं। पहले उन्होंने WHO की फंडिंग रोकने की धमकी दी, फिर ये कहा कि WHO को अपनी प्राथमिकताएं तय करनी होंगी। ये बात बिल्कुल सही है, क्योंकि कोरोना वायरस से लड़ाई में WHO ने लगातार गलत फैसले लिए. और ये ऐसे फैसले थे, जिनकी वजह से चीन का बचाव हो रहा था।