अंतरिक्ष में एक और ऐतिहासिक कदम रखने की तैयारी में भारत, लांच करेगा अपना स्पेस स्टेशन

Edited By Anil dev,Updated: 13 Jun, 2019 06:41 PM

mars isro venus mission

मंगल ग्रह पर सफलतापूर्व यान उतारने के बाद इसरो की योजना अब भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अगले वर्ष छह माह के भीतर सौर मिशन तथा अगले दो-तीन वर्ष में शुक्र मिशन भेजने की घोषणा की है।

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत खुद का अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना गगनयान मिशन का विस्तार होगी। सिवन ने यहां सवाददाताओं से कहा, हमें मानव अंतरिक्ष मिशन लॉन्च करने के बाद गगनयान कार्यक्रम को बनाए रखना होगा और इस संदर्भ में भारत खुद का अंतरिक्ष स्टेशन तैयार करने की योजना बना रहा है। 
 

भारत ने अगले साल जून तक सौर मिशन और दो-तीन साल में शुक्र पर मिशन भेजने तथा अगले एक दशक में अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की घोषणा की है जिससे अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में देश के लिए एक नये युग की शुरुआत होगी। 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. के. शिवन ने यहाँ संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।'' इस संबंध में और पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि यह बहुत बड़ा अंतरिक्ष स्टेशन नहीं होगा। यह 20 टन वजन का छोटा अंतरिक्ष स्टेशन होगा। अंतरिक्ष स्टेशन अंतरिक्ष में तैरती प्रयोगशालाएँ होती हैं। अब तक चुनींदा देशों ने ही अंतरिक्ष में अपने स्टेशन बनाये हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन इनमें सबसे बड़ा है जो अमेरिका, जापान, रूस, यूरोप और कनाडा की अंतरिक्ष एजेंसियों की संयुक्त परियोजना है। वहां स्थायी रूप से वैज्ञानिक रहकर प्रयोगों को अंजाम दे रहे हैं। 

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अमेरिका, रूस और चीन ने पूर्व में अपने खुद के अंतरिक्ष स्टेशन भी स्थापित किए थे। इसरो अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य वहाँ स्थायी रूप से वैज्ञानिकों को रखना नहीं है। हम प्रयोग को अंजाम देने के लिए अपना मॉड्यूल भेजेंगे। गगनयान मिशन के बाद हम सरकार को अपना प्रस्ताव भेजेंगे।'' उन्होंने बताया कि अगले एक दशक में भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित हो सकता है। डॉ. शिवन ने बताया कि इसरो अगले दो-तीन साल में शुक्र पर भी एक मिशन भेजेगा। अंतरिक्ष स्टेशन की लागत के बारे में पूछे जाने पर इसरो प्रमुख ने कहा कि अभी उसका आकलन नहीं किया गया है। अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अभी यह परिकल्पना बेहद शुरुआती दौर में है। दिसंबर 2020 में गगनयान मिशन के बाद इस पर फोकस किया जायेगा और इसलिए अभी इसके बारे में ज्यादा जानकारी देना संभव नहीं है।

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डॉ. शिवन ने बताया कि सौर मिशन का प्रक्षेपण वर्ष 2020 की पहली छमाही में किया जायेगा। इसका उद्देश्य सूरज के ‘कोरोना' में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करना है। पृथ्वी के मौसम पर सबसे ज्यादा प्रभाव कोरोना में सतत होने वाले बदलावों का ही होता है। उन्होंने बताया कि भारत का सौर मिशन पृथ्वी और सूरज के बीच पहले लग्रांजियन बिंदु (एल1) तक जायेगा जो 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मिशन को वहां पहुँचने में करीब 109 दिन का समय लगेगा। 

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