J&K: सेना की बड़ी कामयाबी, पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड ढेर

Edited By Seema Sharma,Updated: 11 Mar, 2019 03:24 PM

जम्मू-कश्मीर के त्राल में रविवार को समाप्त हुए सुरक्षा बलों के अभियान में तीन आतंकवादी मारे गए और उनमें से एक पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हुए फिदायीन हमले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है।

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के त्राल में रविवार को समाप्त हुए सुरक्षा बलों के अभियान में तीन आतंकवादी मारे गए और उनमें से एक पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हुए फिदायीन हमले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि यह अभियान अब पूरी तरह समाप्त हो चुका है और तीनों आतंकवादियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। गौरतलब है कि त्राल के पिंगलिश गांव में रविवार तड़के कुछ आतंकवादियों के छिपे होने की गुप्त सूचना मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने एक खोजी अभियान शुरू किया था और देर शाम तक पूरे इलाके की घेराबंदी होती रही। वहां एक घर में छिपे आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर गोलीबारी शुरू कर दी थी।
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रात को सुरक्षा बलों ने उस घर को विस्फोट से उड़ा दिया था और बाद में दो आतंकवादियों के शव तथा भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद किया था। सूत्रों ने बताया कि सोमवार तड़के तक पूरे क्षेत्र में तलाशी अभियान जारी रहा और यह अब समाप्त कर दिया गया है। इनमें से एक आतंकवादी की पहचान मुदस्सिर अहमद खान, जैश कमांडर के तौर पर हुई है। बताया जा रहा है कि वह पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर किए गए आत्मघाती हमले का मास्टरमाइंड था।
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BA पास था पुलवामा हमले का मास्टमाइंड
इस हमले की जांच में अब तक जुटाए गए सबूतों के मुताबिक सुरक्षाबलों ने बताया कि 23 साल का अहमद खान पेशे से इलेक्ट्रिसियन था और स्नातक पास था। वह पुलवामा का रहने वाला था और उसने ही आतंकी हमले में इस्तेमाल किए गए वाहन और विस्फोटक का इंतजाम किया था। त्राल के मीर मोहल्ला में रहने वाला खान 2017 में जैश से जुड़ा और बाद में नूर मोहम्मद तंत्रे उर्फ ‘नूर त्राली’ ने उसको आतंकवादी संगठन में शामिल कर लिया। नूर त्राली के बारे में माना जाता है कि उसने घाटी में आतंकी संगठनों को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभाई है। त्राली के 2017 में मारे जाने के बाद खान अपने घर से 14 जनवरी, 2018 को लापता हो गया और वह तब से आतंकवादी के रूप में सक्रिय था। अधिकारियों ने बताया कि 14 फरवरी को पुलवामा में विस्फोटक से भरी कार से सीआरपीएफ की बस में टक्कर मारने वाला आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार लगातार खान के संपर्क में था।
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खान ग्रेजुएट होने के बाद एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) से एक साल का डिप्लोमा करके इलेक्ट्रिसियन बना था। वह यहां के एक श्रमिक का सबसे बड़ा बेटा था। ऐसा माना जाता है कि फरवरी 2018 में सुंजावान के सेना के शिविर पर हुए आतंकी हमले में भी वह शामिल था। इस हमले में छह जवान शहीद हो गए थे और एक नागरिक की मौत हो गई थी। सीआरपीएफ के शिविर पर लेथोपोरा में जनवरी, 2018 में हुए हमले के बाद खान की भूमिका सुरक्षाबलों के नजर में सामने आई थी। इस हमले में सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गए थे। पुलवामा हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने खान के घर पर 27 फरवरी को छापा मारा था। पुलवामा आतंकी हमले में इस्तेमाल किए गए मारूती इको मिनिवान को जैश के लिए काम करने वाले एक व्यक्ति ने 10 दिन पहले खरीदा था। इस व्यक्ति की पहचान सज्जाद भट्ट के रूप में हुई है। यह दक्षिणी कश्मीर के बिजबेहरा का रहनेवाला है और हमले की बाद से फरार है। ऐसा माना जा रहा है कि वह अब सक्रिय आतंकवादी बन गया है।

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