जम्मू कश्मीर में शुरू हो गया प्लान मोदी!

Edited By Anil dev,Updated: 21 Jun, 2018 03:40 PM

mehbooba mufti narendra modi vijay kumar manmohan singh

महबूबा सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद उपजी सियासी स्थितियों में जहां अन्य दल चुनावी आकलन में जुटे हैं , वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना समय गंवाए अपने असल प्लान पर अमल शुरू कर दिया है। यह प्लान है घाटी में आतंक के सफाए का जिसके जरिये न...

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा): महबूबा सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद उपजी सियासी स्थितियों में जहां अन्य दल चुनावी आकलन में जुटे हैं , वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना समय गंवाए अपने असल प्लान पर अमल शुरू कर दिया है। यह प्लान है घाटी में आतंक के सफाए का जिसके जरिये न सिर्फ घाटी बल्कि शेष देश में भी जनता का विश्वास जीतने की जुगत  लगाई गई है। केंद्र ने राजयपाल एनएन वोहरा की सहायता के लिए  दो अफसर तुरंत प्रभाव से  कश्मीर भेजे हैं।  इनमे से एक आईएएस और दूसरा पूर्व आईपीएस अफसर है। छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त मुख्य सचिव  बीवीआर सुब्रमण्यम को जम्मू-कश्मीर का चीफ सेक्रेटरी बनाया गया है। इसके साथ ही पूर्व आईपीएस विजय कुमार को राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया  गया है। ये दोनों नियुक्तियां  केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री के भविष्य के प्लान को स्पष्ट इंगित करती हैं।
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बीवीआर सुब्रमण्यम की गिनती देश के काबिल अधिकारियों में होती है और उन्हें नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति बहाल करने के लिए खास तौर पर जाना जाता है। उन्होंने जिस सधे हुए तरीके से छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में  विकास के जरिए स्थानीय जनता को मुख्य धारा में लाने और नक्सलियों से काटने का काम किया उसी की बदौलत उन्हें जम्मू-कश्मीर भेजा गया है। ख़ास बात यह है कि सुब्रमण्यम यूपीए सरकार खासकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भी चाहते अफसर रहे हैं।  मनमोहन सिंह के पहले प्रधानमंत्री कार्यकाल में वे उनके निजी सचिव रह चुके हैं। यूपीए-2  में भी  उनके पास दिल्ली में संयुक्त सचिव के रूप में अहम जिम्मेदारी थी। यानी मोदी ने एक तीर से दो शिकार किये हैं। एक तो उन्होंने  नक्सलवाद से  निपटने के विशेषज्ञ अधिकारी को जम्मू-कश्मीर में भेजने का काम किया दूसरे उनकी तैनाती पर कांग्रेस को भी कुछ कहने से महरूम कर दिया।
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सुब्रमण्यम के साथ साथ उनके साथ ही छत्तीसगढ़ में डीजीपी रह चुके विजय कुमार को भी राज्यपाल के सलाहकार के रूप में जम्मू-कश्मीर भेजा गया है। अपने कार्यकाल में डीजीपी के तौर पर विजय कुमार ने दंतेवाड़ा हमले के बाद जिस तरह से स्थितियों को संभाला यह उसी का नतीजा है कि मोदी ने उनपर इतना भरोसा जताया है। विजय कुमार वीरप्पन को मार गिराने  वाले दल के भी प्रमुख थे। यही नहीं उन्हें  जम्मू-कश्मीर में  भी करीब चार साल तक बीएसएफ के साथ काम करने का अनुभव है। उन्हें विशेष रूप से जंगलों में  आतंकी  ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए जाना जाता है।  ऐसे में दोनों अफसरों की जुगलबंदी से मोदी सरकार ने राज्य में आतंक को नकेल डालने का प्लान बनाया है।  
PunjabKesariअभी और नियुक्तियां बाकी 
सुब्रमण्यम और विजय कुमार की तैनाती के बाद  कुछ और नियुक्तियां  भी जल्द हो सकती हैं।  सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल के सलाहकारों के रूप में आतंक को कुचलने वाले  विशेषज्ञों की पूरी टीम स्थापित की जाएगी। वैसे एक चर्चा तो यह भी है कि सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त  घाटी में सेना की कमान संभाले  लेफ्टिनेंट जनरल दीपक हुड्डा को राजयपाल बनाया जा सकता है।  हालाँकि इस रेस में एक अन्य सैन्य अधिकारी जीडी बख्शी का नाम भी चर्चा में है। एक अवधारणा यह भी है कि  अगर राजयपाल वोहरा को हटाया भी गया तो  यह काम कम से कम श्री अमरनाथ यात्रा के दौरान नहीं उठाया जायेगा। वोहरा का कार्यकाल 25 जून को समाप्त हो रहा है। हालांकि वोहरा को भी जम्मू-कश्मीर के मामलों का एक्सपर्ट माना जाता है  और यह भी संभव है कि  उनको एक कार्यकाल और दे दिया जाए। इस मोर्चे पर चीजें अगले कुछ दिनों में और स्पष्ट हो जाएंगी।  
 

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