अब ISRO की मदद से बारिश से कारण हुई समस्याओं की भी जानकारी देगा मौसम विभाग

Edited By vasudha,Updated: 09 Sep, 2019 04:20 PM

meteorological department give information about the problems caused by rain

अभी तक मानसून के पूर्वानुमान की जानकारी दे रहे मौसम विभाग ने अब बारिश के कारण सड़कों को नुकसान पहुंचने, यातायात अवरुद्ध होने और जलभराव, पानी की आपूर्ति प्रभावित होने आदि की सटीक जानकारी इनसे संबद्ध एजेंसियों को देने की शुरुआत की है...

नेशनल डेस्क: अभी तक मानसून के पूर्वानुमान की जानकारी दे रहे मौसम विभाग ने अब बारिश के कारण सड़कों को नुकसान पहुंचने, यातायात अवरुद्ध होने और जलभराव, पानी की आपूर्ति प्रभावित होने आदि की सटीक जानकारी इनसे संबद्ध एजेंसियों को देने की शुरुआत की है। इस पहल के तहत विभाग ने स्थानीय निकायों और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) से लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सहित सभी एजेंसियों से जरूरी आंकड़े एकत्र कर इनके विश्लेषण के आधार पर बारिश के संभावित प्रभावों की सूचना देने की तैयारी की है। 

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मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि इस बाबत ‘‘इम्पेक्ट बेस्ड फोरकास्ट'' प्रणाली पर आधारित पायलट परियोजना गत वीरवार को शुरू की गयी है। उन्होंने बताया कि पायलट परियोजना के तहत फिलहाल विभाग के चार केन्द्रों (भुवनेश्वर, अहमदाबाद, गुवाहाटी और श्रीनगर) से जुड़े इलाकों में बारिश के संभावित प्रभावों की जानकारी दी जा रही है। यह जानकारी मौसम विभाग की वेबसाइट के जरिये मौसम की चेतावनी के साथ तो जारी की ही जा रही है, साथ ही इन केन्द्रों के माध्यम से संबद्ध इलाकों की स्थानीय एजेंसियों को भी यह जानकारी दी जाती है।

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महापात्रा ने बताया कि इससे इन क्षेत्रों में सड़क टूटने, रास्ते जलमग्न होने, भूमिगत मार्ग (अंडरपास) बंद होने, दृश्यता कम होने, यातायात बाधित होने और फसल के नुकसान जैसे संभावित प्रभावों से निपटने की पूर्व तैयारी करने की चेतावनी संबद्ध एजेंसियों को भेज दी जायेगी। अगले पांच साल में इस सुविधा का विस्तार पूरे देश में करते हुये बारिश के कारण सड़क, स्वास्थ्य, ऊर्जा, तेल एवं खनिज, कृषि, शिक्षा, खाद्य आपूर्ति एवं जनसुरक्षा सहित सभी संभावित क्षेत्रों पर पड़ने वाले प्रभाव से संबद्ध एजेंसियों को इस प्रणाली द्वारा अवगत कराने का लक्ष्य तय किया गया है। 

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मौसम विभाग के महानिदेशक ने कहा कि इसमें मुख्यत: बारिश का सड़कों एवं भूमिगत मार्गों (अंडरपास) पर प्रभाव, निचले इलाकों में जलभराव, यातायात बाधित होने, बारिश के कारण दृश्यता कम होने, मिट्टी का कटाव और पहाड़ी एवं अन्य दुर्गम इलाकों में अतिवृष्टि के कारण भूस्खलन सहित अन्य बारिश जनित समस्याओं पर विशेष जोर दिया जायेगा। इस परियोजना के दूसरे चरण में इम्पेक्ट बेस्ड फोरकास्ट प्रणाली द्वारा ही मौसम संबंधी सभी संभावित जानकारियां और बारिश के प्रभाव की चेतावनी मुहैया करायी जायेगी। इस तंत्र से देश में सभी 7000 ब्लॉक को जोड़ कर प्रति एक घंटे के अंतराल में पूर्वानुमान जारी किया जायेगा। पायलट परियोजना के रूप में अभी 400 ब्लॉक को इस प्रणाली से जोड़ा गया है। 

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