#MeToo: ऑफिस में महिलायें रखे इन बातों का ख्याल, तो नहीं होगा शोषण

Edited By Yaspal,Updated: 13 Oct, 2018 07:29 PM

यौन शोषण के खिलाफ अभिनेत्री तनुश्री दत्ता द्वारा भारत में शुरू किये गए #MeToo कैंपेन के बाद रोज़ नए- नए नाम इसमें जुड़ रहे हैं। अभिनेता नाना पाटेकर, निर्देशक साजिद खान और विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर आदि जैसे प्रभावशाली...

नई दिल्लीः (मनीष शर्मा) यौन शोषण के खिलाफ अभिनेत्री तनुश्री दत्ता द्वारा भारत में शुरू किये गए #MeToo कैंपेन के बाद रोज़ नए- नए नाम इसमें जुड़ रहे हैं। अभिनेता नाना पाटेकर, निर्देशक साजिद खान और विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर आदि जैसे प्रभावशाली हस्तियों पर यौन शोषण के आरोप लग चुके हैं। इन सभी पर यह आरोप है कि इन्होने अपनी हैसियत का फायदा उठाते हुए अपने अधीन काम कर रही महिला सहयोगियों का शोषण किया। भारत में इस समय  लगभग 13 करोड़ कामकाजी महिलाएं है। इनमें से कितनी ही महिलाएं रोज अपने बॉस या पुरुष सहयोगियों द्वारा शोषण का शिकार हो रही होंगी? लेकिन दुःख की बात है ज़्यादातर महिलाओं को मालूम नहीं होगा कि शोषण के खिलाफ उनके क्या अधिकार हैं?

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क्या कहता है भारत का कानून ?
1997 में सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा बनाम स्टेट ऑफ राजस्थान मामले में गाइडलाइंस जारी की थी । इसी आधार पर हमारे देश में ' कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013’' नाम का कानून बना।

  • यौन उत्पीड़न में आते हैं ये  व्यवहार
  • गलत ढंग से छूना या चूमना
  • यौन सम्बन्ध बनाने की मांग करना
  • फ़्लर्ट करना
  • शरीर को घूरना
  • अश्लील जोक्स और सन्देश भेजना
  • अश्लील वीडियो दिखाना
  • अश्लील बातें करना
  • अश्लील टिपण्णी करना
  • धमकी और लालच देना या ब्लैकमेल करना
  • पीछा करना
  • किसे करें शिकायत?

अगर आपके ऑफिस में 10 से अधिक कर्मचारी हैं तो  वहाँ एक अनिवार्य आंतरिक शिकायत समिति होनी चाहिए। यहाँ महिलाएं अपनी शिकायत दर्ज़ करें। 90 दिनों के अंदर समिति को शिकायत का निपटारा करना होगा वर्ना ऑफिस पर जुर्माना लगाया जा सकता है या उसका लाइसेंस रद्द हो सकता है।

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सजा का प्रावधान:

  • आरोपी व्यक्ति को बर्खास्त किया जायेगा।
  • FIR दर्ज होने पर आरोपी को 1 से 5 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

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भारत में पहले ही कामकाजी महिलाओं की स्थिति बहुत दयनीय है। ऑफिस के साथ-साथ घरेलु दायित्वों का भार भी उन्हें अकेले उठाना पड़ता है। सोशल मीडिया में  मी टू कैंपेन के खिलाफ कुछ नकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। कह रहे हैं कि ये महिलाएं इतना समय गुज़र जाने के बाद अब क्यों आरोप लगा रही हैं? यकीन मानिए, इसमें भी कसूर हमारे मौजूदा सिस्टम का ही है। इतनी देर बाद अगर ये महिलायें अपने शोषण की घटना का ज़िक्र कर रही है, तो इसके पीछे इन  तीन में से कोई न कोई एक कारण तो ज़रूर रहा होगा। 
महिलाओं की चुप्पी की वजह:

  • पहला, पैतृक समाज के दबाव के चलते शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।
  • दूसरा, शिकायत करना तो चाहती थी पर मौजूदा सिस्टम की कमियों के कारण नहीं कर पाई।
  • तीसरा, शिकायत तो की पर इनकी शिकायत ख़ारिज हो गई या उलटे इन पर ही कार्रवाई हो गई। 

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आखिर में, जो भी महिलाएं इस शोषण की शिकार हुई हैं या हो रही हैं उनसे बस इतना ही कहना है कि ना तो आप अकेली हैं और ना ही इसमें आपकी कोई गलती है। अपने साथ हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाएं। आप को दूसरी नौकरी मिल सकती है, आपका करियर यहीं ख़त्म होने वाला नहीं।  

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