Edited By vasudha,Updated: 14 Jan, 2020 12:23 PM
भारतीय रिजर्व बैंक के मौजूदा कार्यकारी निदेशक व मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य माइकल पात्रा को आरबीआई का नया डिप्टी गवर्नर नियुक्त कर लिया गया है। वह तीन साल तक रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के पद पर रहेंगे। दरसअल विरल आचार्य के इस्तीफा देने के...
बिजनेस डेस्क: भारतीय रिजर्व बैंक के मौजूदा कार्यकारी निदेशक व मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य माइकल पात्रा को आरबीआई का नया डिप्टी गवर्नर नियुक्त कर लिया गया है। वह तीन साल तक रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के पद पर रहेंगे। दरसअल विरल आचार्य के इस्तीफा देने के बाद से ही यह पद खाली पड़ा था।
डॉ. विरल आचार्य ने व्यक्तिगत कारणों से 23 जुलाई के बाद सेवाएं देने में असमर्थता जताते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था तब से लेकर के अभी तक यह पद खाली पड़ा हुआ था। विरल आचार्य से पहले उर्जित पटेल इस पद पर रहे थे। बता दें कि माइकल पात्रा ने आईआईटी मुंबई से इकोनॉमिक्स से पीएचडी किया है। अक्टूबर 2005 में मॉनिटरी पॉलिसी डिपार्टमेंट में आने से पहले वह रिजर्व बैंक में विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। इन्होंने 1985 में रिजर्व बैंक ज्वाइन की थी। पिछले तीन नीतिगत बैठकों में पात्रा ने अर्थव्यवस्था की गति को तेजी देने के लिए ब्याज दर में कटौती का समर्थन किया था।
आरबीआई में चार डिप्टी गर्वनर होते हैं जिनमें से दो को पदोन्नति के ज़रिए बनाया जाता है बाकी दो में से एक कमर्शियल बैंकर होता है जबकि एक पोस्ट अर्थशास्त्री के हिस्से में होती है। आरबीआई में तीन डिप्टी गवर्नर हैं, जिसमें एन एस विश्वनाथन, बी पी कानूगो और एम के जैन शामिल हैं। विश्वनाथन को सरकार ने एक साल का एक्सटेंशन दिया है। आम तौर पर मॉनेटरी पॉलिसी के प्रमुख की भूमिका निभाने वाला डिप्टी गवर्नर बाहरी अर्थशास्त्री होता है।
गौरतलब है कि देश में मौद्रिक नीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) तय करता है। वहीं, राजकोषीय नीति सरकार बनाती है। जहां आरबीआई का लक्ष्य होता है, महंगाई को कम से कम रखना. वहीं, सरकार विकास दर को बनाए रखना चाहती है, इसीलिए आरबीआई और सरकार में बहुत-सी जगह पर तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है।