Edited By Tanuja,Updated: 25 Feb, 2020 03:38 PM
विश्व में सूक्ष्म प्रदूषण के उच्चतम स्तर का सामना कर रहे 200 शहरों में से करीब 90 फीसदी शहर चीन और भारत के हैं। बाकी शहर पाकिस्तान और इंडोनेशिया में हैं...
सिडनीः विश्व में सूक्ष्म प्रदूषण के उच्चतम स्तर का सामना कर रहे 200 शहरों में से करीब 90 फीसदी शहर चीन और भारत के हैं। बाकी शहर पाकिस्तान और इंडोनेशिया में हैं। ‘आईक्यूएयर ग्रुप' और ‘ग्रीन पीस' की ओर से मंगलवार को संयुक्त रूप से जारी की गई 2019 विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के मुताबिक आबादी के लिहाज से बांग्लादेश पीएम 2.5 प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित है। उसके बाद पाकिस्तान, मंगोलिया, अफगानिस्तान और भारत का नंबर आता है। चीन 11वें स्थान पर है।
वायुजनित प्रदूषण में 2.5 माइक्रोन या उससे भी कम व्यास वाले प्रदूषक तत्व (मोटे तौर पर मानव बाल की मोटाई का 30वां भाग) सबसे खतरनाक माने जाते हैं। ये इतने छोटे होते हैं कि श्वसन तंत्र के जरिए खून में चले जाते हैं जिससे अस्थमा, फेफड़ों का कैंसर या ह्रदयरोग हो सकते हैं। दस लाख या अधिक आबादी वाले दुनिया के सबसे बड़े शहरों में, 2019 में पीएम 2.5 का जहर सबसे ज्यादा भारत की राजधानी नयी दिल्ली में घुला है। सूची में इसके बाद पाकिस्तान का लाहौर, बांग्लादेश की राजधानी ढाका, भारत का कोलकाता, चीन का लिनयी तथा तियानजिन शहर और इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता है। इस सूची में वुहान, चेंगदू और बीजिंग का भी नाम है।
यह रिपोर्ट दुनिया भर के 5,000 शहरों से मिले डेटा पर आधारित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने समयपूर्व हुई 70 लाख लोगों की मौत में से अधिकतर की वजह वायु प्रदूषण बताया है। ये प्रदूषक तत्व रेत के तूफान, कृषि, उद्योग, जंगल की आग और खासकर जीवाश्म ईंधन को जलाने से उत्पन्न होते हैं। आईक्यूएयर के सीईओ फ्रैंक हम्मेस ने कहा, ‘‘वायु प्रदूषण स्वास्थ्य को पर्यावरण संबंधी एक बड़ा खतरा है। दुनिया की 90 फीसदी आबादी असुरक्षित हवा में सांस ले रही है।'' संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 24 घंटे की अवधि में हवा में पीएम 2.5 का घनत्व 25 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। भारत में पीएम 2.5 का स्तर तय सीमा से 500 फीसदी अधिक है।