ब्रिटेन में क्या है प्रवासियों का भविष्य

Edited By ,Updated: 25 Jun, 2016 09:11 AM

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ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन (ईयू) में नहीं रहेगा वहां के लोगों ने इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। माना जाता है कि ब्रिटेन के नागरिकों में

ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन (ईयू) में नहीं रहेगा वहां के लोगों ने इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। माना जाता है कि ब्रिटेन के नागरिकों में प्रवासियों का भय भी बनाया गया था। ईयू की उदार प्रवासी नीति के कारण यूरोप में इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। ब्रिटेन उनसे खासा प्रभावित है। आशंका जताई जाने लगी हैं कि बढ़ते प्रवासियों के कारण वहां मूल नागरिकों के लिए कई तरह के संकट पैदा हो जाएंगे। लेकिन इस तथ्य को कम नहीं आंका जा सकता कि ब्रिटेन के आम चुनाव में 6 लाख प्रवासी भारतीयों ने अहम भूमिका निभाई थी।

ब्रिटेन के ईयू को छोड़ने का प्रमुख कारण प्रवासियों की बढ़ती संख्या भी मानी जा रही है। ब्रिटेन ही नहीं, यूरोप में मुस्लिम समुदाय की बढ़ती तादाद को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। ईयू के अगले अध्यक्ष स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फित्सो होंगे। फित्सो को मुस्लिम विरोधी माना जाता है। वे कहते हैं कि इस समुदाय के लोगों की उनके देश में कोई जगह नहीं है। हालांकि तुर्की भी यूरोप में आता है, लेकिन उसे ईयू में जगह नहीं दी गई है क्योंकि वह मुस्लिम बहुल देश है। कैमरन पर आरोप लगते रहे हैं कि वे तुर्की को ईयू की सदस्यता दिलाने की मदद करते रहे हैं।

ब्रिटेन में भय पैदा किया जा रहा था कि मुसलमानों की संख्या बढ़ जाने से वहां मस्जिदों में भी इजाफा होगा। उनकी विचारधारा, संस्कृति से ब्रिटेन की सभ्यता,संस्कृति और मूल्यों को खतरा बताया गया। ब्रिटेन में मिडिल-ईस्ट से बड़ी संख्या में लोग आकर बसे हैं। इनकी यह संख्या लगातार बढ़ी, जिसने वहां की सरकारों को चिंता में डाल दिया।  इस समय ब्रिटेन में मुसलमानों की आबादी 30 लाख से पार कर चुकी है। लेकिन सवाल उठता है कि मुस्लिम समुदाय को लेकर यदि वहां ज्यादा चिंता है तो लोगों ने पाकिस्तान के मुस्लिम मेयर सादिक खान का चुनाव क्यों किया ?  

सादिक खान 2005 से टूटिंग से लेबर पार्टी के सांसद हैं। अब उन्हें यूरोप का ताकतवर मुस्लिम नेता माना जाता है। 2009-10 में ब्राउन की सरकार में वह परिवहन मंत्री भी रह चुके हैं। वह ब्रिटेन के ऐसे पहले मुस्लिम मिनिस्टर हैं, जो कैबिनेट की बैठकों में शामिल हुए हैं। उन्हें मिले बहुमत के आधार पर कहा जा सकता है कि वे ब्रिटेन के कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोगों को भी परास्त करने में कामयाब रहे। जीतने के बाद उन्होंने अमरीका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को भी करारा जवाब दिया था। ट्रंप ने अमरीका में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने पर जोर देते हैं।

गौरतलब है कि ब्रिटेन में मूल भारतीय भी बड़ी संख्या है। इनमें सिखों की अच्छी-खासी तादाद है। हाल में दक्षिण्र-पूर्वी इंग्लैंड में इस्तेमाल में न लाए जा रहे एक गुरुद्वारे में काफी तोड़ फोड़ मचाई गई। हालांकि बताया जाता है कि इस गुरुद्वारे की जमीन को बेचने की तैयारी की जा रही है, लेकिन यह तोड़ फोड़ की घटना सिखों के लिए भय उत्पन्न करने वाली भी हो सकती है। वहां रहने वाले भारतीय भी नहीं चाहते थे कि ​ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग हो जाए। डेविड कैमरन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, देश की कमान किसे सौंपी जाती है यह अभी स्पष्ट नहीं है। देश के बनने वाले नए मुखिया का प्रवासियों के बारे में क्या रुख रहेगा, यह आने वाला समय बताएगा।

 
 

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