तुर्की ने यूरोपीय संघ को फिर दिखाई आंख

Edited By ,Updated: 25 May, 2016 05:14 PM

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तुर्की ने चेतावनी दी हे कि यूरोपीय संघ ने उनके देश के लोगों को वीज़ा मुक्त प्रवेश की सुविधा नहीं दी तो वह प्रवासियों को लेकर हुए

तुर्की ने चेतावनी दी हे कि यूरोपीय संघ ने उनके देश के लोगों को वीज़ा मुक्त प्रवेश की सुविधा नहीं दी तो वह प्रवासियों को लेकर हुए समझौते पर रोक लगा सकता है। यह पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी तुर्की कई बार कह चुका है। उसकी मांग को मानने के लिए यूनियन तैयार है, लेकिन उसका कहना है कि तुर्की को इसके लिए कुछ शर्तें पूरी होगी। इनमें चरमपंथ से जुड़े कानून में बदलाव भी शामिल है। तुर्की इससे इनकार करता रहा है। सवाल है कि तुर्की अपनी जिद पर क्यों अड़ा है ?

ध्यान देने की बात है कि अपने-अपने देशों में युद्ध, अत्याचार और गरीबी, आईएसआईएस के आतंक जैसी परेशानियों से बचने के लिए हजारों लोग किसी तरह खतरनाक समुद्री रास्ता तय कर यूरोप पहुंचना चाह रहे हैं। इस कोशिश में वे मारे भी जाते हैं, लेकिन अप्रवासन का सिलसिला नहीं थमा है। यूरोप के देशों में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन लोगों को शरण देने के लिए यूरोपीय संघ एकजुट दिखाई है, लेकिन फिर भी इस पर वे एकमत नहीं है। धीरे-धीरे यह मानवीय संकट पूरे यूरोपीय संघ के अस्तित्व पर खतरा बनता जा रहा है। 28 देशों के इस संघ में अपने राष्ट्रीय हितों के संघर्ष के कारण अप्रवासन के मुद्दे पर साझा दृष्टिकोण नहीं बन पाया है।  

हाल में तुर्की के राष्ट्रपति रचेप तैय्यप एर्दोआन जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल से मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन इस मसले के जल्द होने के लिए आसार नहीं नजर आ रहे हैं। तुर्की और यूरोपीय यूनियन के बीच हुए समझौते का मक़सद यूरोप में प्रवासियों के बड़े पैमाने पर हो रहे प्रवेश पर रोक लगाई जाए। इसके तहत 20 मार्च के बाद ग्रीस पहुंचे प्रवासियों ने अगर शरण पाने के लिए आवेदन नहीं किया या फिर उनके दावे को खारिज कर दिया गया तो वे तुर्की वापस भेजे जाएंगे। 

यूरोपीय यूनियन ने साफ कर दिया है कि तुर्की लौटने वाले सीरिया के हर प्रवासी के बदले वह वैध तरीके से आवेदन करने वाले को यूरोप में प्रवेश की इजाज़त दे देगी। तुर्की के चरमपंथ निरोधक क़ानून को लेकर वीज़ा में छूट देने का मामला अटक रहा है।

तुर्की पर आरोप है कि वह पत्रकारों और असंतुष्टों को दबाने के लिए इस क़ानून का इस्तेमाल करता है। यह आरोप यूरोपीय यूनियन और मानवाधिकार संगठनों ने लगाया है। चरमपंथियों से मुक़ाबले के लिए तुर्की इस क़ानून को जरूरी मानता है। वह इसमें किसी प्रकार का बदलाव नहीं करना चाहता।

यूरोपीय संघ के वादे के अनुसार तुर्की को अपनी सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी करने के लिए 3 अरब डॉलर से अधिक की आर्थिक मदद दी जाएगी, जो उसे अब तक नहीं मिली है। तुर्की इसकी शिकायत भी कर रहा है। उसकी सीमाएं सीरिया से सटे हुई हैं जिससे प्रवासी तुर्की से होते हुए यूरोप आ रहे हैं। तुर्की पर अपनी सीमाओं को अधिक सुरक्षित करने का दबाव बनाया जा रहा है। हाल में तुर्की में कुछ लोगों की नौका हादसे में डूबने से मौत् हो गई थी, इस पर जर्मनी का मानना है कि प्रवासियों के संकट का फायदा मानव तस्कर उठा रहे हैंं। इन तत्वों को रोकने के लिए सख्त क़दम उठाए जाने की ज़रूरत है। इसलिए अवैध पलायन को वैध विस्थापन का रूप दिया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि मध्य पूर्व में जारी हिंसा और युद्ध के माहौल के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी यूरोप का रुख कर रहे हैं। वे वैध-अवैध, हर तरीक़ों से तुर्की से समंदर पार करते हैं फिर ग्रीस और आगे यूरोप पहुंचने की कोशिश करते हैं। अनुमान है कि पिछले एक साल में 10 लाख से अधिक प्रवासी यूरोप में अवैध तरीकों से पहुंचे हैं। यह मसला  यूरोपीय संघ के सामने एक बड़ी चुनौती बन गया है। बताया जाता है​ कि तुर्की में लगभग 30 लाख प्रवासी रहते हैं। ये अधिकतर सीरिया से हैं। ग्रीस जाने के लिए इनमें से कई मानव तस्करों को हज़ारों डॉलर देते हैं। कई यूरोपीय देशों जैसे जर्मनी और फ्रांस ने अपने देशों की सीमाओं को अधिक सुरक्षित का लिया है, लेकिन आर्थिक सहायता न मिलने से तुर्की इसमें पिछड़ रहा है।

 

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