बेशर्म पाकिस्तान : न कोरोना की परवाह, न रमजान का सम्मान, जारी है आतंकी हमलों और संघर्ष विराम उल्लंघन का सिलसिला

Edited By Monika Jamwal,Updated: 06 May, 2020 04:29 PM

militant attack and cfv during ramzan by pakistan

पिछले चार महीने से जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है तो पाकिस्तान खुद इस महामारी का शिकार होने के बावजूद नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करके और अपने किराए के आतंकवादियों की घुसपैठ करवाकर भारतीय जम्मू-कश्मीर में अशांति...

  जम्मू/श्रीनगर (बलराम सैनी): पिछले चार महीने से जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है तो पाकिस्तान खुद इस महामारी का शिकार होने के बावजूद नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करके और अपने किराए के आतंकवादियों की घुसपैठ करवाकर भारतीय जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने में लगा है। विडम्बना तो यह है कि इस्लामिक राष्ट्र के रूप में स्थापित पाकिस्तान को मुस्लिम समाज के पवित्र महीने रमजान की भी कोई परवाह नहीं है। यही कारण है कि रमजान के दौरान भी आतंकी हमलों और संघर्ष विराम उल्लंघन का सिलसिला जारी है।

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अकेले रमजान के दौरान अब तक सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में जहां 20 आतंकवादी ढेर हो चुके हैं, वहीं उनसे लोहा लेते हुए 8 सैन्य अधिकारी एवं जवान शहीद और 19 अन्य घायल भी हुए हैं। नियंत्रण रेखा के पार अभी भी करीब 300 आतंकवादी भारत में घुसपैठ करने की फिराक में हैं और इनकी घुसपैठ करवाने के लिए पाकिस्तानी सेना लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन करके भारतीय सेना का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में पाकिस्तानी सेना द्वारा अकारण की गई गोलाबारी में भारतीय सेना के दो जवान शहीद हुए, जबकि एक युवक की मौत हुई और कई घायल हुए हैं।


सूत्रों के अनुसार वर्ष 2020 के दौरान अब तक भारतीय सुरक्षा बलों ने लश्कर-ए-तोयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन और अंसार गजावत उल हिन्द जैसे कुख्यात आतंकी संगठनों के कमांडरों समेत 70 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा है और 38 आतंकवादी तो कोरोना महामारी (कोविड 19) के कारण लागू लॉकडाऊन के दौरान ही ढेर किए गए हैं। इसके अलावा डोडा में हिजबुल मुजाहिदीन के एक आतंकवादी को गोली-बारूद के साथ गिरफ्तार भी किया गया है। इस वर्ष आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ों में अब तक विभिन्न सुरक्षा बलों के 25 अधिकारियों एवं जवानों ने शहादत प्राप्त करके देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। इसके अलावा आतंकवादियों की गोलियों का शिकार होकर 9 नागरिकों की भी जान गई है।

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वर्ष 2020 में सुरक्षा बलों द्वारा खूंखार आतंकवादियों को ठिकाने लगाने का सिलसिला जनवरी से ही तेज कर दिया गया था। 15 जनवरी को सुरक्षाबलों ने जिला डोडा के गुंडाना गांव में हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर हारून वानी को मार गिराया। 23 जनवरी को एक अन्य मुठभेड़ में पुलवामा जिले में आतंकवादी कमांडर अबू सैफुल्लाह उर्फ  अबू कासिम को ढेर कर दिया। 25 जनवरी को दक्षिण कश्मीर के जिला पुलवामा के त्राल इलाके में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर कारी यासिर सहित तीन आतंकवादी मारे गए। इस मुठभेड़ में सेना के तीन जवान भी घायल हो गए थे।

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इसी प्रकार 15 मार्च को जिला अनंतनाग के डायलगाम इलाके में सुरक्षा बलों ने लश्कर-ए-तोयबा के जिला कमांडर मुजफ्फर अहमद भट समेत चार आतंकवादियों को ढेर कर दिया। मारे गए आतंकवादियों में कुछ हिजबुल मुजाहिदीन से भी संबंधित थे। 9 अप्रैल को सुरक्षाबलों ने जिला बारामूला के सोपोर में जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर सज्जाद नवाब डार को मार गिराया। 
 
रमजान के दौरान तेज हुए हमले
रमजान का पवित्र माह शुरू होते ही शांत होने के बजाय पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों पर हमले करने का सिलसिला तेज कर दिया और 24 अप्रैल को ही बडग़ाम में सी.आर.पी.एफ. कैम्प पर ग्रेनेड हमला करके 3 जवानों को घायल कर दिया। 24 अप्रैल की शाम को ही आतंकवादियों ने कुलगाम में रेलवे पुलिस के एक कर्मचारी का अपहरण कर लिया और इस पुलिस कर्मी को छुड़ाने के दौरान हुई मुठभेड़ में 2 आतंकवादी मारे गए। 

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>25 अप्रैल को अवंतीपुरा में हुई मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों ने जैश-ए-मोहम्मद के 2 आतंकवादियों और उनके एक सहयोगी (ओ.जी.डब्ल्यू.) को मार गिराया।

>26 अप्रैल को कुलगाम जिले में हुई मुठभेड़ में 4 आतंकवादी मारे गए और टांग में गोली लगने से सेना का एक मेजर घायल हो गया।

>27 अप्रैल को भी कुलगाम में ही सुरक्षा बलों ने 3 आतंकवादियों को ढेर कर दिया। 
>इसके बाद शोपियां में 28-29 अप्रैल को चली लम्बी मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने अंसार गजावत उल हिन्द के कमांडर समेत 3 आतंकवादियों को मार गिराया। 29 अप्रैल को ही आतंकवादियों ने श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में जामा मस्जिद के बाहर सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया जिसमें 5 जवान घायल हो गए। 
>2 मई को 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा को सूचना मिली कि आतंकवादियों ने हंदवाड़ा के वन्य क्षेत्र स्थित एक घर में स्थानीय लोगों को बंधक बना रखा है। इस पर सुरक्षा बलों के संयुक्त दल ने इन आतंकवादियों को घेर कर स्थानीय लोगों को छुड़ाया और सुरक्षा बलों एवं आतंकवादियों के बीच करीब 20 घंटे तक चली इस मुठभेड़ में कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज सूद, नायक राजेश कुमार, लांस नायक दिनेश सिंह और जम्मू-कश्मीर पुलिस के सब-इंस्पैक्टर सगीर अहमद काजी शहीद हो गए, जबकि खूंखार आतंकी हैदर समेत 2 आतंकवादी ढेर हो गए। 
>2 मई को ही पुलवामा जिले में हुई मुठभेड़ के दौरान जैश-ए-मोहम्मद के 3 आतंकवादी मारे गए।

>4 मई को आतंकवादियों ने हंदवाड़ा में सी.आर.पी.एफ. की पैट्रोलिंग टीम पर हमला कर दिया जिसमें 3 जवान घायल हो गए, जबकि 7 घायल हो गए। 4 मई की शाम को ही आतंकवादियों ने श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र वागूरा (नौगाम) में एक बिजली परियोजना की सुरक्षा में तैनात सी.आई.एस.एफ. की टुकड़ी पर ग्रेनेड हमला कर दिया जिसमें एक जवान घायल हो गया।

>5 मई को आतंकवादियों ने बडग़ाम जिले के पखरपोरा इलाके में ग्रेनेड हमला करके जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक सब-इंस्पैक्टर, सी.आर.पी.एफ . के एक जवान और 4 नागरिकों को घायल कर दिया। 5 मई को ही सुरक्षा बलों ने डोडा जिले के टानटना गुंदना क्षेत्र में एक आतंकी ठिकाना ध्वस्त करके हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी तनवीर अहमद पुत्र जमाल दीन को असले सहित जीवित गिरफ्तार कर लिया। 
 

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खतरनाक हो सकता है 11 मई का दिन
खुफिया एजैंसियों को आशंका है कि जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी 11 मई को कई स्थानों पर एक साथ हमला कर सकते हैं। इस खुफिया सूचना के आधार पर सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों से निपटने की पूरी तैयारी कर ली है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में अब तक चलाए गए आतंकवाद निरोधक अभियान से सबसे ज्यादा नुक्सान जैश-ए-मोहम्मद को ही हुआ है और अकेले अप्रैल में ही उसके 28 आतंकवादी मारे जा चुके हैं। इसलिए पाकिस्तान आधारित यह आतंकी संगठन सुरक्षा बलों पर एक साथ हमला करके अपने आतंकवादियों की मौत का बदला लेना चाहता है।
बताया जाता है कि जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक खूंखार आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर के बीमार हो जाने के बाद इस आतंकी संगठन की कमान संभाल रहे उसके भाई मुफ्ती अब्दुल राऊफ असगर ने रावलपिंडी में आई.एस.आई. के अधिकारियों के साथ बैठक करके 11 मई को सुरक्षा बलों पर हमले की योजना बनाई है। 11 मई को ही इन हमलों के लिए क्यों चुना गया, इसके बारे में कहा जाता है कि रमजान माह के इस दिन साऊदी अरब का ऐतिहासिक बद्र युद्ध लड़ा गया था जिसे इस्लाम के दृष्टिकोण से बड़ी जीत माना जाता है। इस मामले में दूसरे आतंकी संगठन भी जैश-ए-मोहम्मद की मदद कर सकते हैं। 


 

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