Edited By Pardeep,Updated: 22 Aug, 2024 10:19 PM
खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआई ने बृहस्पतिवार को ई-कॉमर्स सहित खाद्य कंपनियों को पैकेट से ‘ए-वन' और ‘ए-टू' प्रकार के दूध और दूध उत्पादों के दावों को हटाने का निर्देश दिया। नियामक ने इस तरह के ‘लेबल' को भ्रामक बताया है।
नई दिल्लीः खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआई ने बृहस्पतिवार को ई-कॉमर्स सहित खाद्य कंपनियों को पैकेट से ‘ए-वन' और ‘ए-टू' प्रकार के दूध और दूध उत्पादों के दावों को हटाने का निर्देश दिया। नियामक ने इस तरह के ‘लेबल' को भ्रामक बताया है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने कहा कि ये दावे खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के अनुरूप नहीं हैं। अपने ताजा आदेश में, एफएसएसएआई ने कहा कि उसने इस मुद्दे की जांच की है और पाया है कि ए-वन और ए-टू का अंतर दूध में बीटा-केसीन प्रोटीन की संरचना से जुड़ा हुआ है। हालांकि, मौजूदा एफएसएसएआई नियम इस अंतर को मान्यता नहीं देते हैं। खाद्य व्यवसाय परिचालकों का जिक्र करते हुए नियामक ने कहा, ‘‘एफबीओ को अपने उत्पादों से ऐसे दावों को हटाने का निर्देश दिया गया है।''
ई-कॉमर्स मंच को भी उत्पादों और वेबसाइट से इन दावों को तुरंत हटाने के लिए कहा गया। कंपनियों को पहले से मुद्रित लेबल समाप्त करने के लिए छह महीने का समय दिया गया है, इसके अलावा कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा। ए-1 और ए-2 दूध में बीटा-कैसीन प्रोटीन की संरचना अलग-अलग होती है, जो गाय की नस्ल के आधार पर अलग-अलग होती है। नियामक ने इस निर्देश का सख्ती से पालन करने पर जोर दिया।
आदेश का स्वागत करते हुए पराग मिल्क फूड्स के चेयरमैन देवेंद्र शाह ने कहा कि एफएसएसएआई का आदेश सही दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘ए-1 और ए-2 विपणन मकसद से विकसित की गई श्रेणी है। ...यह जरूरी है कि हम भ्रामक दावों को खत्म करें जो उपभोक्ताओं को गलत जानकारी दे सकते हैं।'' उन्होंने कहा कि ए-1 या ए-2 दूध उत्पाद श्रेणी कभी अस्तित्व में नहीं थी और वैश्विक स्तर पर भी यह प्रवृत्ति खत्म हो रही है और उन्होंने कहा कि एफएसएसएआई का स्पष्टीकरण इस व्यापक समझ का समर्थन करता है।