लोकसभा चुनाव में करोड़पति, दागी उम्मीदवार बढ़े

Edited By vasudha,Updated: 14 May, 2019 11:23 AM

millionaire candidates increase in lok sabha elections

लोकसभा चुनाव में दागी तथा करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। वर्ष 2009 के चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार 15 प्रतिशत थे जिनकी संख्या इस चुनाव में बढ़कर 19 प्रतिशत हो गई। इस मामले में सत्तारूढ़ भाजपा 40 प्रतिशत के...

इलेक्शन डेस्क: लोकसभा चुनाव में दागी तथा करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। वर्ष 2009 के चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार 15 प्रतिशत थे जिनकी संख्या इस चुनाव में बढ़कर 19 प्रतिशत हो गई। इस मामले में सत्तारूढ़ भाजपा 40 प्रतिशत के साथ सबसे आगे है जबकि 39 प्रतिशत के साथ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस उसके बिल्कुल करीब है। करोड़पति उम्मीदवारों का अनुपात 2009 के 16 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 29 प्रतिशत पर पहुंच गया है। इस मामले में भी भाजपा और कांग्रेस 83-83 प्रतिशत के साथ बिल्कुल बराबरी पर है। एसोसिएशन पर डैमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (ए.डी.आर.) ने 17वीं लोकसभा चुनाव के 8,049 उम्मीदवारों में से 7,928 उम्मीदवारों के हलफनामों के विश्लेषण के आधार पर तैयार एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। 

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2019 के चुनाव में 1500 उम्मीदवार (यानी 19 प्रतिशत) आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं। इनमें 1,070 यानी 13 प्रतिशत ऐसे हैं जिनके खिलाफ गंभीर अपराधों के मामले होने का रिकार्ड है। गंभीर अपराध वाले उम्मीदवारों की संख्या 2009 के चुनाव में 608 (8 प्रतिशत) और 2014 में 908 (यानी 11 प्रतिशत) थी। इस बार 56 ऐसे उम्मीदवार हैं जो अदालत द्वारा दोषी ठहराए जा चुके हैं। 55 उम्मीदवारों पर हत्या का, 184 पर हत्या के प्रयास का, 126 पर महिलाओं के प्रति अपराध का, 9 पर बलात्कार का और 47 पर अपहरण का मामला है। वहीं 95 उम्मीदवारों पर  भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज है। भाजपा के 433 उम्मीदवारों  में से 175 (40 प्रतिशत) का आपराधिक रिकॉर्ड है जिनमें 124 (29 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर मामले हैं। कांग्रेस के 419 उम्मीदवारों में से 164 (39 प्रतिशत) का आपराधिक रिकॉर्ड है। उनमें 107 (26 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। माकपा के 58 और राकांपा के 50 प्रतिशत उम्मीदवार दागी हैं।   

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बिहार : रमेश के पास शत्रुघ्न से 5 गुना अधिक संपत्ति  
बिहार में 7वें चरण की 8 संसदीय सीटों के 37 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं। 57 उम्मीदवारों के पास 1 करोड़ से ज्यादा की चल व अचल संपत्ति है। कांग्रेस उम्मीदवार सिने स्टार शत्रुघ्न सिन्हा से 5 गुना अधिक संपत्ति निर्दलीय प्रत्याशी रमेश कुमार शर्मा के पास है। पाटलिपुत्र से उम्मीदवार रमेश शर्मा के पास सर्वाधिक 1107 करोड़ 58 लाख 33 हजार 190 रुपए की चल-अचल संपत्ति है। बिहार इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फॉर डैमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (ए.डी.आर.) की संयुक्त रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। 

ए.डी.आर. ने 7वें चरण के प्रत्याशियों द्वारा शपथ पत्र में दी गई जानकारी के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में इस चरण के कुल 157 उम्मीदवारों में से 153 के शपथ पत्रों का अध्ययन किया गया है। सासाराम से भाजपा प्रत्याशी छेदी पासवान व अन्य 3 प्रत्याशियों के शपथ पत्र स्पष्ट नहीं होने के कारण उन्हें अध्ययन में शामिल नहीं किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार संपत्ति के मामले में दूसरे नंबर पर पटना साहिब से प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा हैं। इनके पास 193 करोड़ 54 लाख 59 हजार 756 रुपए की चल-अचल संपत्ति है। 

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रोजगार मतदाताओं के लिए सबसे बड़ा मुद्दा
देश के मतदाताओं के लिए रोजगार, स्वास्थ्य सुविधाएं और पीने का पानी सबसे बड़ा मुद्दा है। ए.डी.आर. ने 17वीं लोकसभा चुनाव से पहले कराए गए एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर यह बात कही है। यह सर्वेक्षण 534 लोकसभा क्षेत्र के 2,73,487 मतदाताओं के बीच कराया गया था। इसमें मतदाताओं के समक्ष 31 मुद्दों की सूची दी गई थी और उनसे उनकी प्राथमिकता तय करने के लिए कहा गया था। ए.डी.आर. के प्रो. जगदीप चोकर ने यह रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि 46.80 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा कि उनके लिए रोजगार के बेहतर अवसर सबसे बड़ा मुद्दा है। बेहतर अस्पताल तथा प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा को प्राथमिकता सूची में 34.60 प्रतिशत और पेयजल को 30.50 प्रतिशत अंक मिले। 

बेहतर सड़क 28.34 प्रतिशत के साथ चौथे स्थान पर और बेहतर सार्वजनिक परिवहन 27.35 प्रतिशत के साथ 5वें स्थान पर रहा। कृषि से संबंधित मुद्दे अगले 4 स्थानों पर रहे। इनमें खेती के लिए पानी की उपलब्धता छठे, कृषि ऋण की उपलब्धता 7वें, फसल की अच्छी कीमत 8वें और बीजों एवं उर्वरकों के लिए सबसिडी 9वें स्थान पर रही। 10वें स्थान पर बेहतर कानून व्यवस्था का मुद्दा रहा। लोगों से यह भी पूछा गया था कि इन मुद्दों पर सरकार का प्रदर्शन कैसा रहा है? सभी मुद्दों पर लोगों ने कहा कि सरकार का प्रदर्शन औसत से खराब रहा है। मतदाताओं की नजर में सार्वजनिक भूमि, तालाब आदि के अवैध कब्जे, आतंकवाद, रोजगार के लिए प्रशिक्षण, रक्षा क्षेत्र की मजबूती, भ्रष्टाचार उन्मूलन, खाद्य पदार्थों की कम कीमत और खनन में सरकार का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है।         

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