ऑफ द रिकार्ड: स्पीकर के सवाल पर असमंजस में मंत्री

Edited By vasudha,Updated: 29 Jun, 2019 09:24 AM

minister in the confusion on the speaker question

लोकसभा में उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गई जब पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने स्वयं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का प्रश्र अपने टेबल पर देखा। 17वीं लोकसभा का संसद सत्र 17 जून को शुरू हुआ था और नियमित प्रश्रकाल 21 जून को शुरू...

नई दिल्ली: लोकसभा में उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गई जब पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने स्वयं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का प्रश्र अपने टेबल पर देखा। 17वीं लोकसभा का संसद सत्र 17 जून को शुरू हुआ था और नियमित प्रश्रकाल 21 जून को शुरू हुआ। राजस्थान से भाजपा सांसद चुने गए ओम बिरला ने 17 जून को सदस्य के तौर पर शपथ लेने के तुरन्त बाद अपना पहला संसदीय प्रश्र मंत्रालय को भेज दिया था। 
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उनका प्रश्र था (ए) क्या भारत की घरेलू जलवायु नीति अप्रासंगिक हो चुकी है और यह मूलभूत मूल्यों में स्पष्टत: के अभाव में अव्यवस्थित संस्थागत वास्तुशिल्प पर निर्भर है। (बी) यदि ऐसा है, तो उसका विवरण और सरकार द्वारा इस स्थिति में सुधार लाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। (सी) क्या भारत को एक मजबूत व्यापक नीति दस्तावेज की जरूरत है जिसके तहत एक नए दृष्टिकोण के साथ जलवायु परिवर्तन की स्थिति से निपटा जा सके। (डी) यदि ऐसा है, तो उसका ब्यौरा; और (ई) क्या सरकार वर्तमान नीति पर जलवायु परिवर्तन के नजरिए से पुनॢवचार और समीक्षा का इरादा रखती है और क्या जरूरी होने पर वह इसके फ्रेम वर्क में बदलाव का इरादा रखती है? यदि हां, तो उसका विवरण? लेकिन जब तक मंत्री को इस प्रश्र का जवाब देना था तब तक ओम बिरला लोकसभा के अध्यक्ष बन चुके थे। 
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जावड़ेकर इस बात को लेकर असमंजस में थे कि उन्हें क्या करना चाहिए। उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी से बात की कि क्या उन्हें इस प्रश्र का जवाब संसद के पटल पर लिखित रूप में रखना चाहिए अथवा इसे माननीय स्पीकर महोदय को भेजना चाहिए। लेकिन संसदीय परम्परा के अनुसार यदि किसी सदस्य का प्रश्र सूचीबद्ध है तो उसका उत्तर टेबल पर भी रखा जाना चाहिए। आखिर में यह फैसला लिया गया कि इसके उत्तर को टेबल पर रखने की जरूरत नहीं है। हालांकि इस गैर-तारंकित प्रश्र को सूचीबद्ध किया गया था।  

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खास बात यह है कि ओम बिरला लोकसभा में अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी काफी सक्रिय रहे हैं और उन्होंने बजट, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव सहित 163 चर्चाओं में भाग लिया था। 2014-19 के दौरान उन्होंने 631 गैर-तारंकित प्रश्र पूछे थे और उनकी उपस्थिति भी काफी अधिक रही थी।

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