Edited By vasudha,Updated: 10 Oct, 2020 12:14 PM
देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों को लेकर केंद्र सरकार गंभीर दिखाई दे रही है। इसी के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने महिला सुरक्षा को लेकर एडवाइजरी जारी की है। नये परामर्श में केंद्र ने राज्यों से कहा कि महिलाओं के साथ अपराध मामले में पुलिस थाने की...
नेशनल डेस्क: देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों को लेकर केंद्र सरकार गंभीर दिखाई दे रही है। इसी के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने महिला सुरक्षा को लेकर एडवाइजरी जारी की है। नये परामर्श में केंद्र ने राज्यों से कहा कि महिलाओं के साथ अपराध मामले में पुलिस थाने की कार्रवाई अनिवार्य कर दी जाए।
गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा कि महिला के खिलाफ अपराध यदि थाने के अधिकार क्षेत्र के बाहर हुआ है तो उस स्थिति में ‘शून्य प्राथमिकी' दर्ज की जाए। राज्यों से कहा गया कि नियमों का पालन नहीं करना न्याय दिलाने के लिहाज उचित नहीं होगा। गृह मंत्रालय ने चेतावनी देते हुए कहा कि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
गृह मंत्रालय की एडवाइजरी इस प्रकार
- बलात्कार या यौन शोषण के मामले में पीड़िता की सहमति से एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर 24 घंटे के अंदर मेडिकल जांच करेगा।
- फोरेंसिक साइंस सर्विसेज डायरेक्ट्रेट ने यौन शोषण के मामले में फोरेंसिक सबूत एकत्र करने और उसे स्टोर करने की जो गाइडलाइन बनायी है, उसका पालन होना चाहिए।
- इंडियन एविडेंस ऐक्ट की धारा 32(1) के अनुसार, मृत व्यक्ति का बयान जांच में अहम तथ्य होगा।
- IPC की धारा 166 A(c) के तहत, एफआईआर दर्ज न करने पर अधिकारी को सजा का प्रावधान है।
- सीआरपीसी की धारा 173 में बलात्कार से जुड़े मामलों की जांच दो महीनों में करने का प्रावधान है।