Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Jan, 2019 02:51 PM
अगले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी देश के सबसे बड़े क्षेत्रीय राजनीतिक समूह का हिस्सा बनने के लिए कमर कस रही है।
कोलकाताः अगले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी देश के सबसे बड़े क्षेत्रीय राजनीतिक समूह का हिस्सा बनने के लिए कमर कस रही है। आगामी लोकसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में बनर्जी को देश की चुनावी राजनीति में एक बड़ी ताकत के रूप में भी देखा जा रहा है। उन्होंने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को उखाड़ फेंकने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों को एकीकृत करने के प्रयासों के तहत एक संघीय मोर्चा के गठन का आइडिया सामने रखा है। बनर्जी आम चुनाव के बाद केंद्र में बड़ी भूमिका के लिए दृढ-संकल्पित है तथा इसी मकसद से लोकसभा में पार्टी सदस्यों की संख्या बढ़ाने के वास्ते अपने 34 सांसदों के पैकेज में फेरबदल भी कर सकती है।
तृणमूल कांग्रेस चाहती है कि बनर्जी अगर प्रधानमंत्री न बनी तो भाजपा-विरोधी सरकार के किंगमेकर के रूप में सामने आए और इसके लिए यह मानकर चल रही है कि लोकसभा में पार्टी की पर्याप्त सीटें हों। एक दूरदर्शी और प्रभावशाली नेता के साथ ही पश्चिम बंगाल में ‘बदलाव की प्रतीक’ बनर्जी को लेकर एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि राज्य में उनके कद का कोई और नेता है भी नहीं। अपने करिश्मे, ऊर्जा और राजनतिक कुशाग्रता की बदौलत वह देश के बड़े नेताओं में शुमार है।
वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के 34 साल की सत्ता को निस्तेनाबूद करने का इतिहास बनाने के साथ ही 2014 के लोकसभा चुनाव में 42 में से 34 सीटें जीतकर तथा 2016 के राज्य विधानसभा चुनाव में अभूतपूर्व जीत हासिल कर दूसरी बार मुख्यमंत्री बननेे की उपलब्धि के साथ ही उन्होंने अपने को एक राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित किया है।