Edited By Seema Sharma,Updated: 11 Feb, 2019 04:26 PM
भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने वायुसेना को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। मिशन गगनयान पर जाने वाले 10 क्रू मेंबर्स के चुनाव और प्रशिक्षण के लिए भारतीय वायुसेना को जिम्मेदारी दी गई है।
नेशनल डेस्कः भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने वायुसेना को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। मिशन गगनयान पर जाने वाले 10 क्रू मेंबर्स के चुनाव और प्रशिक्षण के लिए भारतीय वायुसेना को जिम्मेदारी दी गई है। ISRO चेयरमैन के. सिवन ने कहा कि क्रू के सिलेक्षण और प्रशिक्षण में क्या मानदंड और जरूरतें होगी, उसकी जारी जानकारी वायुसेना को सौंप दी गई है। ट्रेनिंग के पहले दो चरण एयरफोर्स के इंस्टिट्यूट ऑफ ऐरोस्पेस मेडिसिन (बेंगलुरु) में होंगे और आखिरी चरण की ट्रेनिंग विदेश में दी जाएगी। सिवन ने कहा कि एयरफोर्स 10 लोगों को प्रशिक्षत करेगी जिसमें से तीन को हम अपने पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन के लिए चुनेंगे। विदेश में आखिरी ट्रेनिंग कहां होगी के सवाल पर इसरो प्रमुख ने कहा कि रूस, फ्रांस सहित दो-तीन देशों के नामों पर विचार किया जा रहा है हालांकि इस पर अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।
एयरफोर्स के इंस्टिट्यूट ऑफ ऐरोस्पेस मेडिसिन भारत और दक्षिण-पूर्वी एशिया का इकलौता ऐसा संस्थान है जो ऐरोस्पेस मेडिसिन के क्षेत्र में रिसर्च करता और पायलटों को भी प्रशिक्षित करता है। इस संस्थान में मौजूद इन्फ्रास्ट्रक्चर आधुनिक हैं और इसी के चलते इसरो ने यहां पर मिशन गगनयान के क्रू मैंबर्स को प्रशिक्षित कराने पर विचार किया। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 के स्वतंत्रता दिवस समारोह पर अपने संबोधन में घोषणा की थी कि भारत गगनयान के जरिए 2022 तक एक अंतरिक्ष यात्री को भेजने की (अंतरिक्ष में) कोशिश करेगा। गगनयान के प्रथम मानवरहित मिशन की योजना दिसंबर 2020 के लिए है, वहीं अंतरिक्ष में प्रथम मानव को दिसंबर 2021 तक भेजा जाएगा। जबकि 2022 में इसरो अमलीजामा पहनाएगा।