इतिहास रचने वाली स्वाति मोहन के नाम पति ने वैलेंटाइन डे लिखा था खूबसूरत खत

Edited By vasudha,Updated: 21 Feb, 2021 04:33 PM

mission mars swati mohan valentine day

वैलेंटाइन डे पर जब दुनियाभर के लोग अपने प्रियजनों को प्रेम संदेश दे रहे थे, तब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की इंजीनियर डॉ. स्वाति मोहन के पति ने उन्हें जो कार्ड दिया, उसपर लिखा था कि प्रेम करने वाले 14 फरवरी का इंतजार कर रहे हैं और इतिहास बदलने...

नेशनल डेस्क:  वैलेंटाइन डे पर जब दुनियाभर के लोग अपने प्रियजनों को प्रेम संदेश दे रहे थे, तब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की इंजीनियर डॉ. स्वाति मोहन के पति ने उन्हें जो कार्ड दिया, उसपर लिखा था कि प्रेम करने वाले 14 फरवरी का इंतजार कर रहे हैं और इतिहास बदलने वाले 18 फरवरी का इंतजार कर रहे हैं। उनकी बात सच हुई और 18 फरवरी को स्वाति ने रोवर ‘पर्सीवरेंस' नामक रोवर के मंगल ग्रह पर उतरने का ऐलान कर दुनिया को ऐतिहासिक क्षणों से रूबरू कराया। दरअसल 18 फरवरी को नासा द्वारा 203 दिन पहले अंतरिक्ष में भेजा गया रोवर ‘पर्सीवरेंस' मंगल पर पांव धरने वाला था।

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स्वाति की बिंदी की रही खूब चर्चा 
करोड़ों मील की यात्रा के बाद रोवर को उसकी मंजिल के नजदीक पहुंचाने वाले अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की धड़कनें बढ़ी हुई थीं। अंतिम सात मिनट सबसे मुश्किल और चुनौतीपूर्ण थे। एक-एक कर वे 420 सेकंड गुजरे और बहुत से लोग अपनी मुट्ठियां हवा में लहराते हुए खुशी से उछल पड़े। उसी समय एक महिला स्वर ने दुनिया को रोवर की सफल ‘लैंडिंग' की जानकारी दी। नासा की कैलिफोर्निया स्थित जेट प्रणोदन प्रयोगशाला से जारी किए गए इन ऐतिहासिक पलों के वीडियो में माथे पर छोटी सी बिंदिया लगाए भारतीय मूल की स्वाति मोहन ने दुनिया को मंगल ग्रह पर रोवर की सफल ‘लैंडिंग' की जानकारी देते हुए कहा कि मंगल ग्रह पर ‘टचडाउन' की पुष्टि हो गई है! अब यह जीवन के संकेतों की तलाश शुरू करने के लिए तैयार है।

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 ‘मार्स 2020' मिशन का अहम हिस्सा थी स्वाती
कुछ पल का यह वीडियो और स्वाति मोहन के चंद शब्द अनेक अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की करीब एक दशक की मेहनत का फल थे। स्वाति मोहन पासाडेना, कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रणोदन प्रयोगशाला में ‘मार्स 2020' मिशन का अहम हिस्सा रही हैं और उन्होंने इसमें दिशा-निर्देशन तथा नियंत्रण अभियान का नेतृत्व किया। नासा की यह महत्वाकांक्षी परियोजना 2013 में शुरू हुई थी और इसके लिए नासा वैज्ञानिकों का चयन शुरू होने पर स्वाति को यह जिम्मेदारी सौंपी गई कि रोवर को ले जाने वाला अंतरिक्ष यान मंगल तक की अपनी यात्रा सुचारू रूप से पूरी करे और रोवर लाल ग्रह की सतह पर सुगमता से उतरे। 

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बेंगलुरु से है स्वाती का खास रिश्ता 
बेंगलुरु में पैदा हुईं स्वाति मात्र एक वर्ष की थीं, जब उनके माता-पिता उन्हें लेकर अमेरिका चले गए थे। उत्तरी वर्जीनिया-वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में रहने के दौरान 9 साल की उम्र में उन्होंने टेलीविजन पर ‘स्टार ट्रेक' धारावाहिक देखा और वह उसमें दिखाए गए अंतरिक्ष के काल्पनिक किरदारों को सच मानकर ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने की तरकीब सोचने लगीं। हालांकि कुछ वर्ष बाद वह बाल रोग विशेषज्ञ बनना चाहती थीं, लेकिन 16 साल की उम्र में अंतरिक्ष की अथाह गहाराइयां उन्हें फिर लुभाने लगीं और वह इस रास्ते चल पड़ीं। उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से मेकैनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद एयरोनॉटिक्स/ एस्ट्रोनॉटिक्स में एमआईटी से एमएस और पीएचडी पूरी की। 


 इस दिन का बेसब्री सा था इंतजार: स्वाति 
स्वाति का कहना है कि मैं ‘पर्सीवरेंस' से इतने लंबे समय से जुड़ी हूं, जितना मैं कभी किसी एक स्कूल में नहीं रही। मैं ‘पर्सीवरेंस' के साथ जितना रही हूं, उतना अभी अपनी छोटी बेटी के साथ नहीं रही। यह लंबे समय से मेरी जिंदगी का हिस्सा रहा है। पिछले कुछ साल से हमें इस दिन का बेसब्री से इंतजार था और खास तौर से पिछले तीन-चार साल बहुत मेहनत भरे थे। कोविड काल ने हमारे तनाव को और बढ़ा दिया तथा घरों में बैठकर करोड़ों मील दूर जाने वाले रोवर की यात्रा की तैयारी करना और भी मुश्किल लगने लगा।'' उन्होंने कहा कि इस अभियान पर काम करने वाले लोग इतना ज्यादा समय एक-दूसरे के साथ गुजार चुके थे कि उन्हें एक-दूसरे की बात समझने और सहयोग करने में ज्यादा समय नहीं लगा। सभी के सहयोग से ‘मार्स मिशन 2020' अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ता रहा। 

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