Edited By vasudha,Updated: 08 Nov, 2020 02:33 PM
चीन के साथ चल रहे विवाद का असर अब भरतीय बाजारों में भी देखने को मिल रहा है। देश भर में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के आहवान के चलते इस बार बाजारों से चीनी सामान न के बराबर है। भारत में इस बार कई दुकानदार और रिटेलर दिवाली से जुड़े चीनी उत्पादों का...
नेशनल डेस्क: चीन के साथ चल रहे विवाद का असर अब भरतीय बाजारों में भी देखने को मिल रहा है। देश भर में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के आहवान के चलते इस बार बाजारों से चीनी सामान न के बराबर है। भारत में इस बार कई दुकानदार और रिटेलर दिवाली से जुड़े चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं।
लोगों को दिलाई जा रही शपथ
दरअसल गलवान में भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद देश भर में चीनी वस्तुओं का बड़े पैमाने पर बहिष्कार किया जा रहा है। लोगों को शपथ दिलायी जा रही है कि चीन के किसी उत्पाद को कभी हाथ नहीं लगाएंगे। अगर लेकिन एक तथ्य यह भी है कि रिटेल सेक्टर से लेकर ऊर्जा तक और वस्त्र उद्योग से लेकर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री तक पर चीन के उत्पाद कब्जा किए हुए हैं।
चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
चीन और भारत का व्यापारिक साझेदारी 4.6 लाख करोड़ का है, और चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत निर्यात की तुलना में 7 गुना ज्यादा माल चीन से आयात करता है। भारत इलेक्ट्रानिक के 32.02, न्यूक्लियर रिएक्टर, बायलर्स और पार्ट्स के 17.01 प्रतिशत, आर्गनिक केमिकल्स 9.83 प्रतिशत फटिलाइजर्स 5.3 प्रतिशत आयात करता है।
चीन से आयात पर निर्भर है भारत: विशेषज्ञ
विशेषज्ञों का कहना है कि "हम चीन से आयात पर निर्भर हैं, इस बारे में कोई संदेह नहीं है। इसके अलावा, चीन भारतीय बाज़ार की विशाल क्षमता को देखते हुए इसे ख़ुद से दूर भी नहीं कर सकता। विशेषज्ञों के अनुसार एशिया की महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था वाले देश भारत के बाजार को चीन से सबसे ज्यादा खतरा है। विगत 15 वर्षों में चीन ने भारतीय ग्राहकों की मानसिकता को बदल डाला। देशभर की सड़कों पर चीन के जूते चप्पलों से लेकर लैपटॉप, आईपॉड, मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक डायरियां बिकती चली जा रही हैं।